ताईवान में भी शिवलिंग की पूजा होती है

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ताईपे। पूर्वी एशिया और चीन सागर के छोटे से द्वीपीय देश ताईवान में योग्य वर और समर्थ  एवं बलिष्ठ पुत्र की कामना करते हुए शिवलिंग की पूजा की जाती है और दिवाली की तरह  प्रकाश पर्व पटाखों के साथ पूरे श्रद्धाभाव और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। 


 
ताईवान के पूर्वी भाग में आदिवासी समुदायों की बहुलता है जिसमें कुछ शिवलिंग के रूप में  आदिदेव महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं और मनौती मांगते हैं। ताईचेन के एक स्थानीय मंदिर  के पुजारी चेन छुन चांग ने बताया कि त्साव समुदाय के लोग शिवलिंग की पूजा करते हैं। इस  पूजा-अर्चना में योग्य वर और समर्थ एवं बलिष्ठ पुत्र की कामना की जाती है। फसल के पकने  और परिवार में किसी शुभ कार्य के आरंभ में भी शिवलिंग के दर्शन की परंपरा है।
 
देश के अन्य भागों में मंदिरों में भी भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की गई है। पूजा-अर्चना के  लिए मंदिरों में एक विशेष प्रकार की व्यवस्था है जिसमें पूजन सामग्री मंदिर प्रांगण में रखी  होती है और लोग श्रद्धाभाव से इसके दाम दान पत्र में डाल देते हैं और पुजारी के सहयोग से  पूजा करते हैं। पूजा जूता पहने की जा सकती है। पूजन सामग्री में एक पोथा, फल और कुछ  अगरबत्तियां शामिल होती हैं। अगरबत्तियां मंदिर के कुछ द्वार पर रखे एक कुंड में जलाई  जाती हैं।
 
ताईवान में प्रत्येक नववर्ष के दूसरे पखवाड़े में प्रकाश पर्व मनाया जाता है, जो 15 दिन तक  चलता है। इसमें ईष्ट देवों की पूजा-अर्चना करने के अलावा रोशनी भी की जाती है और  आसमान में लालटेन उड़ाई जाती है, कागज के पुतले बनाए जाते हैं और पटाखे चलाए जाते हैं।  यह पर्व पखवाड़ा पूरे देश में सामाजिक तौर पर मनाया जाता है। (वार्ता)

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