डोल ग्‍यारस आज

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जन्‍माष्‍टमी पर श्री कृष्‍ण का जन्‍म हुआ था और उनके जन्‍म के ग्‍यारह दिनों के बाद नंदबाबा और माता यशोदा ने ब्रजवासियों के साथ धूम-धाम से उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को डोल ग्‍यारस के रुप में मनाया जाता है।

आज के दिन कृष्‍ण मंदिरों से गाजे-बाजे के साथ भगवान की शोभायात्रा निकाली जाती है।

एकादशी तिथि का वैसे भी हिंदू धर्म में बहुत महत्‍व है। डोल ग्‍यारस हिंदू धर्म के प्रमुख व्रत और त्‍यौहारों में से एक है।

इस दिन भगवान श्री कृष्‍ण की आराधना की जाती है और व्रत रखा जाता है। मंदिरों से निकलने वाली शोभायात्रा में भक्‍तजन उत्‍साह से भाग लेते हैं।

जो लोग जन्‍माष्‍टमी का व्रत रखते हैं, उन्‍हें डोल ग्‍यारस का व्रत अवश्‍य करना चाहिए। ऐसी मान्‍यता है, कि डोल ग्‍यारस का व्रत रखे बगैर जन्‍माष्‍टमी का व्रत पूर्ण नहीं होता।

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