त्रिनेत्र व जटाधारी शिशु का जन्म!

भगवान शंकर का अवतार

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बिलासपुर के रॉक में श्रमिक दंपति के घर अद्भुत बालक का जन्म हुआ। जन्म के समय शिशु के माथे पर तीसरी आँख, सिर में जटा व चंद्रभाल थे। उसे भगवान शंकर का अवतार समझकर लोग दर्शन करने उमड़ पड़े। इसके संबंध में लोग कुछ समझ पाते, उससे पहले ही वह दुनिया से अलविदा हो गया।

सीपत थाना के ग्राम रॉक निवासी नरेश कुमार प्रजापति की पत्नी पार्वती प्रजापति गर्भवती थी। पहली संतान के जन्म हो लेकर परिवार बहुत खुश था। शनिवार की सुबह पार्वती को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। इस पर घर में प्रशिक्षित दाई को बुलाया गया। उसकी उपस्थिति में पार्वती ने एक अद्भुत शिशु को जन्म दिया। जन्म के समय शिशु स्वस्थ था। उसके माथे पर तीसरी आँख थी। सिर में आधा इंच के निकले जटे में भालचंद्र लगा हुआ था।

प्रसव कराने वाली दाई के अनुसार जन्म के समय उसकी तीसरी आँख खुली हुई थी। उसने अद्भुत शिशु के जन्म होने की जानकारी दंपति के परिवारवालों को दी। अद्भुत बालक का जन्म होने की बात रॉक सहित आसपास के गाँवों में आग तरह फैल गई। बालक के संबंध में जिसने भी सुना, उसे भगवान शंकर का रूप मानते हुए दर्शन करने पहुँचने लगे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार देखते ही देखते आधा इंच का जटा बढ़कर आधी फीट से अधिक हो गया। इस दौरान लोग जिज्ञासावश उसे देखते रहे, कई लोगों ने उसकी पूजा-अर्चना भी की।

कुछ लोगों ने शिशु को बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह दी। उसे अस्पताल लाने की तैयारी की जा रही थी कि उसने दुनिया देखने से पहले ही अपनी आँखें बंद कर ली। रॉक में भगवान शंकर के स्वरूप जैसा शिशु के जन्म होने की दिनभर चर्चा रही। बताया जाता है कि मौत से पहले उसकी तीसरी आँख धीरे-धीरे अंदर चली गई थी। मौत के बाद भी ग्रामीणों ने भगवान शंकर के धरती में आना समझकर की शव की पूजा-अर्चना की। इसके बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया।

इस प्रकार की आकृति वाले शिशु के जन्म होने को डॉक्टर भ्रूण के विकास में विकृति आना मानते हैं। डॉ. एस घोष का कहना है कि जटा अलग से नहीं होता, वह माँस का लोथड़ा रहता है। यह एक प्रकार की बीमारी होती है। कई बार एक सिर व दो शरीर वाले शिशुओं का भी जन्म हुआ है। इसी प्रकार कई बच्चों के मुँह के स्थान पर सूँड की आकृति होती है। ये सभी विकृति हैं। ऐसे शिशु जन्म के कुछ घंटे तक ही जीवित रहते हैं।

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