राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने गत दिव स मुंबई में विश्व विपश्यना पगोडा का लोकार्पण किया। इस अवसर पर आपने आह्वान किया कि विश्व के सभी मानव एक हैं, हमारा आचरण इसी मूल सिद्धांत पर केंद्रित होना चाहिए। हमें विश्व में शांति कायम करने के लिए आतंक और हिंसा को परास्त करना होगा।
शांति का स्मारक यह पगोडा, भगवान बुद्ध के अहिंसा और करुणा के संदेश को समूचे विश्व में फैलाने में सहायक होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि विपश्यना मन की शांति की प्राचीन कला है, जिसे भगवान बुद्ध ने खोजकर संसार को उपलब्ध कराया था। तनाव भरे आधुनिक जीवन में यह विद्या मन की शांति के लिए आवश्यक है।
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उल्लेखनीय है कि इस पगोडा का निर्माण विपश्यना आचार्य सत्यनारायण गोयनकाजी ने अपने गुरु उबाखिन की स्मृति में कराया है।
विपश्यना पगोडा में ये खास है...
- विश्व के सबसे बड़े पगोडा में एक भी पिलर नहीं है।
- 25 लाख टन जोधपुरी पत्थरों का प्रयोग किया गया।
- निर्माण पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च, इसमें जमीन की कीमत शामिल नहीं है।
- 280 फुट व्यास और 325 फुट ऊँचे इस पगोडा में 8-10 हजार लोग एक साथ उपासना कर सकेंगे।