स्वर्ण रथयात्रा काँच मंदिर से

Webdunia
ND
दिगंबर जैन समाज (सामाजिक संसद) के नेतृत्व में शुक्रवार को दोपहर 2 बजे इतवारिया बाजार स्थित काँच मंदिर से स्वर्ण रथयात्रा निकाली जाएगी। इसके समापन पर धर्मसभा व कलशाभिषेक होंगे।

इस अवसर पर शहर में विराजित आचार्यश्री शिवसागरजी, उपाध्यायश्री गुप्तिसागरजी, मुनिश्री भूतबलीसागरजी, प्रार्थनासागरजी, चिदानंदसागरजी व ऐलकश्री सिद्धांतसागरजी को सान्निध्य प्रदान करने के लिए कैलाश लुहाड़िया, प्रतिपाल टोंग्या आदि ने नेतृत्व में श्रीफल अर्पित किए गए हैं।

संपूर्ण आयोजन की सफलता के लिए अलग-अलग समितियों का गठन किया गया है। प्रमुख समन्वयक विमल सोगानी के अनुसार स्वर्ण रथयात्रा में सारथी बनने का सौभाग्य महेंद्रकुमार बड़जात्या परिवार को और विशेष अहिंसा जिनवाणी रथ के सारथी बनने का सौभाग्य डॉ. राजेश जैन, मुकेश जैन व शैलेश जैन परिवार को प्राप्त हुआ है।

प्रचार-प्रसार संयोजक ने बताया कि स्वर्ण रथयात्रा काँच मंदिर से मल्हारगंज मेनरोड, टोरी कॉर्नर, गोराकुंड, खजूरी बाजार, राजवाड़ा, कृष्णपुरा, बोझाकेंट मार्केट, प्रिंस यशवंत रोड,गुरुद्वारा चौराहा, जवाहर मार्ग, बंबई बाजार, नृसिंह बाजार व मुकेरीपुरा होते हुए पुनः इतवारिया बाजार पहुँचेगी, जहाँ धार्मिक पूजा आदि के पश्चात शाम 6.15 बजे कलशाभिषेक होंगे।

अध्यक्ष पद्मश्री बाबूलाल पाटोदी, कार्याध्यक्ष कैलाश वेद, प्रमुख समन्वयक विमल सोगानी तथा प्रमुख प्रभारी माणकचंद सोगानी, सुरेश मिंडा व श्रीमती सुमन जैन ने पत्रकार वार्ता में बताया कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों से सुबह प्रभात फेरियाँ और क्षेत्रीय स्तर पर शोभायात्रा निकाली जाएँगी।

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व