रावण की लंका पर शोध

- (वेबदुनिया डेस्क)

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राम सेतु के विवाद के बाद राम-रावण पर शोध को बढ़ावा दिया जाने लगा है। राम-रावण के होने के तथ्‍य खोजे जा रहे हैं। प्रमाण जुटाए जा रहे हैं। भारत और श्रीलंका के पुरातत्व और पर्यटन विभाग इस तरह के शोध में रुचि लेने लगे हैं।

खबरों में पढ़ने में आया था कि श्रीलंका में वह स्थान ढूँढ लिया गया है जहाँ रावण की सोने की लंका थी। ऐसा माना जाता है कि जंगलों के बीच रानागिल की विशालका पहाड़ी पर रावण की गुफा है, जहाँ उसने तपस्या की थी। यह भी कि रावण के पुष्पक विमान के उतरने के स्थान को भी ढूँढ़ लिया है। ऐसी खबरें भी पढ़ने को मिलीं कि रामायणकाल के कुछ हवाई अड्डे भी ढूँढ लिए गए हैं।

श्रीलंका का इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर और वहाँ के पर्यटन मंत्रालय ने मिलकर रामायण से जुड़े ऐसे पचास स्थल ढूँढ लिए हैं जिनका पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व है और जिनका रामायण में भी उल्लेख मिलता है।

श्रीलंका सरकार ने 'रामायण' में आए लंका प्रकरण से जुड़े तमाम स्थलों पर शोध कराकर उसकी ऐतिहासिकता सिद्ध कर उक्त स्थानों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बना ली है। इसके लिए उसने भारत से मदद भी माँगी है।

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श्रीलंका में मौजूद जिन स्थलों का 'रामायण' में जिक्र हुआ है, उन्हें चमकाए जाने की योजना है। इस योजना के तहत यहाँ आने वाले विदेशी, खासकर भारतीय पर्यटकों को 'रावण की लंका' के कुछ खास स्थलों को देखने का मौका मिलेगा।

कुछ प्रमुख स्थल : वेराँगटोक जो महियाँगना से 10 किलोमीटर दूर है वहीं पर रावण ने सीता का हरण कर पुष्पक विमान को उतारा था। महियाँगना मध्य श्रीलंका स्थित नुवारा एलिया का एक पर्वतीय क्षेत्र है। इसके बाद सीता माता को जहाँ ले जाया गया था उस स्थान का नाम गुरुलपोटा है जिसे अब 'सीतोकोटुवा' नाम से जाना जाता है। यह स्थान भी महियाँगना के पास है।

एलिया पर्वतीय क्षेत्र की एक गुफा में सीता माता को रखा गया था जिसे 'सीता एलिया' नाम से जाना जाता है। यहाँ सीता माता के नाम पर एक मंदिर भी है। इसके अलावा और भी स्थान श्रीलंका में मौजूद हैं, जिनका ऐतिहासिक महत्व है।

घटनाक्रम पर शोध : अंतरिक्ष एजेंसी नासा का प्लेनेटेरियम सॉफ्टवेयर रामायणकालीन हर घटना की गणना कर सकता है। इसमें राम को वनवास हो, राम-रावण युद्ध हो या फिर अन्य कोई घटनाक्रम। इस सॉफ्टवेयर की गणना बताती है कि ईसा पूर्व 5076 साल पहले राम ने रावण का संहार किया था।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सेवानिवृत्त पुरातत्वविद् डॉ. एलएम बहल कहते हैं कि रामायण में वर्णित श्लोकों के आधार पर इस गणना का मिलान किया जाए तो राम-रावण के युद्ध की भी पुष्टि होती है। इसके अलावा इन घटनाओं का खगोलीय अध्ययन करने वाले विद्वान भी हैं। भौतिकशास्त्री डॉ. पुष्कर भटनागर ने रामायण की तिथियों का खगोलीय अध्ययन किया है।

रावण के अस्तित्व की खोज

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