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मार्गशीर्ष माह में किन देवी और देवताओं की पूजा करना चाहिए

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, शनिवार, 12 नवंबर 2022 (13:17 IST)
कार्तिक पूर्णिमा के बाद से मार्गशीर्ष पूर्णिमा तक चलके वाला अगहन माह प्रारंभ हो गया है, जिसे मार्गशीर्ष माह भी कहते हैं। 9 नवंबर से मार्गशीर्ष माह प्रारंभ हो गया है जो 8 दिसंबर 2022 तक चलेगा। इस माह का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व माना गया है। आओ जानते हैं कि इ मास में किन देवी और देवताओं की पूजा करना चाहिए और पूजा से क्या मिलेगा लाभ।
 
1. दत्तात्रेय जयंती : इसी माह में दत्तात्रेय भगवान की जयंती भी मनायी जाती है। इस माह की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाएगी। अतः उनका पूजन भी विशेष फलों को प्रदान करने वाला बताया गया है।
 
2. चंद्र पूजा : अगहन माह में ही चंद्रमा को सुधा प्राप्त हुई थी, जिसकी वजह से भी प्रभु कृपा के लिए यह माह उत्तम माना गया है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा पूजन अतिश्रेष्ठ माना गया है। इससे चंद्रदोष दूर होगा।
 
3. भैरव पूजा : हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती मनाई जाती है, जिसे कालाष्टमी कहते हैं। मार्गशीर्ष माह में कालभैरव जयंती का खासा महत्व है। इस दिन उनकी पूजा करने से किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है।
 
4. विष्णु पूजा : मान्यता है कि इस माह में भगवान विष्णुजी की या उनके ही स्वरूप भगवान कृष्ण की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यह माह उनके पूजन के श्रेष्ठ माह में से एक बताया जाता है। इस माह में उत्पन्ना एकादशी और मोक्षदा एकादशी का व्रत भी रखा जाएगा।
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5. श्रीकृष्‍ण पूजा : इस माह में श्रीकृष्‍ण पूजा और गीता ग्रंथ पूजा का खास महत्व रहता है। गीत में श्रीकृष्‍ण ने कहा भी है कि मैं मासों में मार्गशीर्ष हूं। इसी माह में गीता जयंती मनाई जाती है जो 4 दिसंबर 2022 को है।
 
हरियाणा के कुरुक्षे‍त्र में जब गीता ज्ञान दिया गया तब मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की तिथि एकादशी थी जिसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। संभवत: उस दिन रविवार था। कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, कुरुक्षेत्र के मैदान में, अर्जुन के नन्दिघोष नामक रथ पर सारथी के स्थान पर बैठ कर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया था। इसी तिथि को प्रतिवर्ष गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। कहते हैं प्रथम दिन का उपदेश प्रात: 8 से 9 बजे के बीच हुआ था।
 
6. सभी देवता के लिए महत्वपूर्ण है यह माह : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सतयुग में सभी देवताओं ने मिलकर मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को वर्ष का आरंभ किया था। इसलिए इस दिन सभी देवों का स्मरण किया जाता है। 
 
7. तुलसी पूजा : मार्गशीर्ष माह में तुलसी की जड़ों से मिट्टी निकालकर शरीर पर इसका लेप लगाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के दौरान नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र का जाप करना बहुत फलदायी होता है।
 
8. श्रीराम पूजा : इसके अलावा माता अन्नपूर्णा की जयंती, त्रिपुर भैरवी जयंती और श्रीराम विवाहो‍त्सव भी मनाया जाता है। इस दिन श्रीराम और जानकी की पूजा करने से विवाह संबंधी अड़चने दूर होती है।

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