‍मूर्ति विसर्जन एक समस्या

- सूर्यकुमार पांडेय

Webdunia
WD
शहरों में किसी खास देवी-देवता की पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन के दृश्य आम हैं। इन देवी-देवताओं की पूजा करने वाले लोग खुले ट्रकों पर जुलूस की शक्ल में इनकी प्रतिमाओं को नदियों में ले जाकर विसर्जित करते हैं। इधर जब से पर्यावरण को लेकर जागरूकता आई है, तब से नदियों को भी प्रदूषण से बचाने के प्रति चेतना बढ़ी है। इसके चलते स्वयंसेवी संगठन और स्थानीय प्रशासन ऐसे अवसरों पर इन मूर्तियों को बनाने में प्रयुक्त रासायनिक रंगों से नदी जल की रक्षा की कवायदें करते देखे जाते हैं।

कुछेक बरसों पहले तक तो हम अपने घर की इन विसर्जन योग्य मूर्तियों को एक प्लास्टिक के थैले में रखकर अपने शहर की नदी पर बने हुए पुल से उसमें डाल आते थे। पिछले वर्ष उस पर ऊँची रेलिंग और जालियाँ लग गई हैं। पुल पर एक हिदायती बोर्ड भी लगा हुआ है जो यह बताता है कि पूजा-सामग्री आदि डालकर इस नदी को प्रदूषित न किया जाए।

WD
तब मैंने नदी के एक घाट पर जाकर मूर्तियों को नदी में डालने का विचार बनाया। फिर ध्यान में आया कि यह तो हाथ घुमाकर नाक पकड़ना हुआ। इस नाते मैंने उस नदी के किनारे के एक स्थान पर, जिसको बहुत साफ-सुथरा तो कतई नहीं कहा जा सकता था, मूर्तियों को रख आया। वापस आया तो मन में एक कचोट-सी थी। इस तरह के विसर्जन से तो बेहतर होता कि मैं इन माटी की मूरतों को अपने ही लॉन या आसपास के किसी खाली स्थान में गड्ढा खोदकर गाड़ देता। विसर्जित की गई मूर्तियों के प्रति श्रद्धा का भाव भी बना रहता, पर्यावरण की रक्षा भी होती।

तो इस वर्ष मूर्तियों की पवित्रता के मद्देनजर मैंने दूसरा तरीका अपनाया। दिन में अपने कार्यालय आते-जाते मुझको सड़क के किनारे एक पीपल के पेड़ के नीचे कुछेक मूर्तियाँ रखी हुई दिखाई देती थीं। मैंने विचार किया कि अपने गणेश-लक्ष्मी को वहीं पर रख आता हूँ। एक सुबह मुँह अँधेरे मैं यह कार्य संपन्न भी कर आया। कुछ दिनों के बाद क्या देखता हूँ कि उस पेड़ के नीचे बीस-तीस गणेश-लक्ष्मी रखे हुए हैं। सोचने लगा, मेरे जैसे ही कितने सारे लोग इस समस्या से दो-चार हो रहे होंगे। तभी तो एक ने पहल की, कइयों को राह मिल गई।

सचमुच, पत्थरों की मूर्तियों से पटे पड़े मेरे शहर में माटी की मूरतों का विसर्जन भी एक समस्या है और शहरों में भी होगी ही।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dussehra ke Upay: दशहरे पर करें रात में ये 5 अचूक उपाय और सभी समस्याओं से मुक्ति पाएं

Navratri Special : उत्तराखंड के इस मंदिर में छिपे हैं अनोखे चुम्बकीय रहस्य, वैज्ञानिक भी नहीं खोज पाए हैं कारण

Navratri 2024: कौन से हैं माता के सोलह श्रृंगार, जानिए हर श्रृंगार का क्या है महत्व

Diwali date 2024: विभिन्न पंचांग, पंडित और ज्योतिषी क्या कहते हैं दिवाली की तारीख 31 अक्टूबर या 1 नवंबर 2024 को लेकर?

Shardiya navratri Sandhi puja: शारदीय नवरात्रि में संधि पूजा कब होगी, क्या है इसका महत्व, मुहूर्त और समय

सभी देखें

धर्म संसार

Durga Puja Dhunuchi Dance: दुर्गा पूजा में क्यों किया जाता है धुनुची नृत्य, क्या होता है धुनुची का अर्थ

Vastu : घर की 32 दिशाओं को जान लेंगे तो वास्तु को ठीक करना होगा आसान

क्यों खेला जाता है बंगाल में दशहरे के एक दिन पहले दुर्गा अष्टमी पर सिन्दूर खेला

Guru vakri 2024: मिथुन राशि में गुरु की वक्री चाल, इन राशियों को कर देगी बेहाल

Dussehra 2024 date: दशहरा पर करते हैं ये 10 महत्वपूर्ण कार्य