सुख भौतिक है तो आनंद आध्यात्मिक...

सुशील कुमार शर्मा
इस संसार का सबसे बड़ा आकर्षण 'आनंद' है। हंसना-मुस्कुराना एक ऐसा वरदान है, जो वर्तमान में संतोष और भविष्य की शुभ-संभावनाओं की कल्पना को जन्म देकर मनुष्य का जीना सार्थक बनाता है। 


 
मुण्डकोपनिषद् में विद्वान ऋषि कहते हैं- 'तद्विज्ञाने न परिपश्यन्ति धीरा आनंद रूपमर्भृतम् यद्विभाति' अर्थात ज्ञानी लोग विज्ञान से अपने अंतर में स्थित उस आनंदरूपी ब्रह्म का दर्शन कर लेते हैं एवं ज्ञानियों में भी परम ज्ञानी हो जाते हैं। सुख भौतिक है तो आनंद आध्यात्मिक। 
 
भौतिक उपादानों का ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से अनुभव प्राय: सभी को एक-सा ही होता है। फूल की गंध, वस्तुओं का सौंदर्य, फलों के स्वाद से जो अनुभूति हमें होती है, लगभग स्वस्थ इन्द्रियों वाले सभी व्यक्तियों को एक समान ही होती है, लेकिन आनंद इससे नितांत भिन्न है। इसका रसास्वादन हर व्यक्ति को अलग-अलग रूपों में होता है। आनंद हर साधक की साधना की चरम उपलब्धि है, चाहे उसकी अनुभूति के रूप भिन्न-भिन्न हों। 
 
इसीलिए विद्वानों ने कहा है- 'आध्यात्मिकता का ही दूसरा नाम प्रसन्नता है। जो प्रफुल्लता से जितना दूर है, वह ईश्वर से भी उतना ही दूर है। वह न आत्मा को जानता है, न परमात्मा की सत्ता को। सदैव झल्लाने, खीजने, आवेशग्रस्त होने वालों को मनीषियों ने नास्तिक बताया है।
 
मीरा ने जिस आनंद रस का पान किया, जिसके लिए सामाजिक मर्यादाएं तोड़ीं एवं विष का प्याला पिया उसे कौन अपने अंत: में उसी प्रकार अनुभव कर सकता है?
 
आत्मा का सहज रूप परम सत्ता की तरह आनंदमय है। मूल अथवा शाश्वत 'आनंद' की प्रकृति अलग होती है। उसमें नीरसता अथवा एकरसता जैसी शिकायत नहीं होती। उस परम आनंद में मन नशे की भांति डूबा रहता है और उससे वह बाहर आना नहीं चाहता; किंतु सांसारिक क्रिया-कलापों के निमित्त उसे हठपूर्वक बाहर जाना पड़ता है। यह अध्यात्म तत्वज्ञान वाला प्रसंग है और अंत:करण की उत्कृष्टता से संबंध रखता है।
 
अक्षय आनंद की प्राप्ति का क्या उपाय है? आनंद की तलाश में लोग जहां-तहां मारे फिरते और तितली की तरह एक फूल से दूसरे फूल पर बैठते हैं। यह अतृप्तिजन्य अशांति ही मनुष्य के पीछे प्रेत, पिशाच की तरह फिरती रहती है। 


 
आनंद की खोज में व्याकुल और उसकी उपलब्धि के लिए आतुर मनुष्य बहुत कुछ करने पर भी उसे प्राप्त न कर सके तो उसे विडंबना ही कहा जाएगा। आनंद की तलाश करने वालों को उसकी उपलब्धि संतोष के अतिरिक्त और किसी वस्तु या परिस्थिति में हो ही नहीं सकती। 
 
आनंद को देख न पाना मनुष्य की अपनी समझने की भूल है। भाव-संवेदनाओं की सौन्दर्य दृष्टि न होने से ही उस आनंद से वंचित रहना पड़ता है, जो अपने इर्द-गिर्द ही वायुमंडल की तरह सर्वत्र घिरा पड़ा है। 
 
आनंद भीतर से उमंगता है। वह भाव-संवेदना और शालीनता की परिणति है। बाहर की वस्तुओं में उसे खोजने की अपेक्षा अपनी दर्शन-दृष्टि का परिमार्जन होना चाहिए। 
 
सुकरात ने एक बार अपने शिष्यों से कहा था- 'संतोष ईश्वर-प्रदत्त संपदा है और तृष्णा अज्ञान के द्वारा थोपी गई निर्धनता'। आनंद के लिए किन्हीं वस्तुओं या परिस्थितियों को प्राप्त करना आवश्यक नहीं और न उसके लिए किन्हीं व्यक्तियों के अनुग्रह की आवश्यकता है। वह अपनी भीतरी उपज है। 
 
आनंद की उपलब्धि केवल एक ही स्थान से होती है, वह है- आत्मभाव। परिणाम में संतोष और कार्य में उत्कृष्टता का समावेश करके उसे कभी भी, कहीं भी और कितने ही बड़े परिमाण में पाया जा सकता है।
 
आत्मीयता ही प्रसन्नता, प्रफुल्लता और पुलकन है। पदार्थों में, प्राणियों में, सुंदरता, सरसता ढूंढना व्यर्थ है। अपना आत्मभाव ही उनके साथ लिपटकर प्रिय लगने की स्थिति विनिर्मित करता है। इस अपनेपन को यदि संकीर्णता के सीमा-बंधनों में बांधा जाए तो आत्मीयता का प्रकाश विशाल क्षेत्र को आच्छादित करेगा और सर्वत्र अनुकूलता, सुंदरता बिखरी पड़ी दिखेगी।
 
परिवार को, शरीर को ही अपना न मानकर यदि प्राणी समुदाय व प्रकृति विस्तार पर उसे बिखेरा जाए तो दृष्टिकोण बदलते ही बहिरंग क्षेत्र में आनंद भरा हुआ प्रतीत होगा। आत्मभाव की उदात्त मान्यता अपनाकर सभी नए सिरे से दृष्टिपात करें और बदले हुए संसार का सुहावना चित्र आनंद-विभोर होकर देखें। 
 
दूसरों को अपने अनुकूल बनाना कठिन है, पर अपने को ऐसा बनाया जा सकता है कि सह-सौजन्य प्रदान करते हुए संतोष और आनंद से अपना अंत:करण भर लें। 
Show comments

Vasumati Yog: कुंडली में है यदि वसुमति योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम जयंती पर कैसे करें उनकी पूजा?

मांगलिक लड़की या लड़के का विवाह गैर मांगलिक से कैसे करें?

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम का श्रीकृष्ण से क्या है कनेक्शन?

Akshaya-tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन क्या करते हैं?

Aaj Ka Rashifal: पारिवारिक सहयोग और सुख-शांति भरा रहेगा 08 मई का दिन, पढ़ें 12 राशियां

vaishkh amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर कर लें मात्र 3 उपाय, मां लक्ष्मी हो जाएंगी प्रसन्न

08 मई 2024 : आपका जन्मदिन

08 मई 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Akshaya tritiya : अक्षय तृतीया का है खास महत्व, जानें 6 महत्वपूर्ण बातें

अगला लेख