साल 2021 में दत्तात्रेय जयंती 18 दिसंबर को मनाई जाएगी।
दत्तात्रेय जयंती को दत्त जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जाती है।
दत्तात्रेय जयंती कर्नाटक,महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश और गुजरात में मनाई जाती है।
आइए जानते हैं दत्तात्रेय जयंती 2021 में कब है (Dattatreya Jayanti 2021 Mein Kab Hai), दत्तात्रेय जयंती का शुभ मुहूर्त (Dattatreya Jayanti Shubh Muhurat),दत्तात्रेय जयंती का महत्व (Dattatreya Jayanti Importance),दत्तात्रेय जयंती की पूजा विधि (Dattatreya Jayanti Puja Vidhi) और दत्तात्रेय जयंती की कथा (Dattatreya Jayanti Story)
Dattatreya Jayanti 2021 Date : भगवान दत्तात्रेय (Lord Dattatreya) को शिवजी,विष्णु जी और ब्रह्माजी का ही अवतार माना जाता है। दत्तात्रेय (Dattatreya) के पिता का नाम ऋषि अत्रि और इनकी माता का देवी अनुसूया है। इनके तीन सिर छ: भुजाएं हैं। माना जाता है कि भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की है।
भगवान दत्तात्रेय ऋषि अत्रि और देवी अनुसूया के पुत्र हैं। जिन्हें भगवान शिव, भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी तीनों का अवतार माना जाता है। पुराणों के अनुसार माना जाता है कि दत्तात्रेय ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी।
भगवान दत्तात्रेय सिर्फ स्मरण करने मात्र से ही अपने भक्तों के पास पहुंच जाते हैं।
इस कारण से इन्हें ''स्मृतिमात्रानुगन्ता'' और ''स्मर्तृगामी'' भी कहा जाता है।
इनका जन्म मार्गशीष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को प्रदोष काल में हुआ था।
इसी कारण से हर साल इस समय पर ही दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान दत्तात्रेय की मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
दत्तात्रेय जयंती की पूजा विधि (Dattatreya Jayanti Puja Vidhi)
1. दत्तात्रेय जयंती के दिन साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
2. इसके बाद साधक चाहें तो मंदिर में जाकर भगवान दत्तात्रेय की पूजा कर सकता है या फिर अपने घर पर ही भगवान दत्तात्रेय की पूजा कर सकता है।
3.साधक को दत्तात्रेय की पूजा करने से पहले एक चौकी पर गंगाजल छिड़कर उस पर साफ वस्त्र बिछाना चाहिए और भगवान दत्तात्रेय की तस्वीर स्थापित करनी चाहिए।
4.इसके बाद भगवान दत्तात्रेय को फूल,माला आदि अर्पित करके उनकी धूप व दीप से विधिवत पूजा करनी चाहिए।
5. साधक को इस दिन भगवान के प्रवचन वाली अवधूत गीता और जीवनमुक्ता गीता अवश्य पढ़नी चाहिए।
Dattatreya Jayanti 2021 Date and Time
दत्तात्रेय जयंती का शुभ मुहूर्त
इस दिन चंद्रमा मिथुन राशि में रोहिणी नक्षत्र और साध्य व शुभ योग रहेगा।
पूर्णिमा पर भगवान दत्तात्रेय की पूजा प्रदोष काल में की जाती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 18 दिसंबर 2021, शनिवार सुबह 7:24
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त 19 दिसंबर 2021, रविवार सुबह 10:06
दत्तात्रेय भगवान के विशेष मंत्र-
1. दक्षिणामूर्ति बीजम च रामा बीकेन संयुक्तम् ।
द्रम इत्यक्षक्षाराम गनम बिंदूनाथाकलातमकम
दत्तास्यादि मंत्रस्य दत्रेया स्यादिमाश्रवह
तत्रैस्तृप्य सम्यक्त्वं बिन्दुनाद कलात्मिका
येतत बीजम् मयापा रोक्तम् ब्रह्म-विष्णु- शिव नामकाम
2. दत्तात्रेय का महामंत्र- 'दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा'
3. बीज मंत्र : ॐ द्रां।
4. दत्त गायत्री मंत्र- 'ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात'
5. तांत्रोक्त दत्तात्रेय मंत्र- 'ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नम:'
दत्त उपासना के लाभ-
दत्तात्रेय उपनिषद के अनुसार, दत्त जयंती पर भगवान दत्त के लिए व्रत और पूजा करने वाले भक्तों को उनका आशीर्वाद और कई तरह के लाभ मिलते हैं...
1. भक्तों को उनकी सभी इच्छित भौतिक सामग्री और धन की प्राप्ति होती है।
2. सर्वोच्च ज्ञान के साथ-साथ जीवन के उद्देश्य और लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलती है।
3. चिंताओं के साथ-साथ अज्ञात भय से छुटकारा मिलता है।
4. पाप ग्रहजनित कष्टों का निवारण
5. सभी मानसिक कष्टों का अंत और पारिवारिक संकटों से भी छुटकारा मिलता है।
6. इससे जीवन में नेक रास्ते पाने में मदद मिलती है।
7. आत्मा को सभी कर्म बंधों से मुक्त करने में मदद मिलती है।
8. आध्यात्मिकता के प्रति झुकाव विकसित होता है।