हरियाली अमावस्या की परंपराएं : धानी मुक्का से लेकर दाल बाटी तक और पौधारोपण से लेकर पेड़ पूजन तक

राजश्री कासलीवाल
मालवी परंपरा के अनुसार हरियाली अमावस्या पर कई स्थानों पर एक अनूठी परंपरा निभाई जाती है, जिसमें युवतियां और महिलाओं द्वारा एक-दूसरे की पीठ में जोरदार मुक्का मारकर इस रस्म को निभाते हैं और उन्हें धानी और गुड़ भेंट स्वरूप देते हैं। शास्त्रों की मानें तो सावन-भादौ का महीना हमें वनस्पति, हरियाली और प्रकृति की देखरेख करने तथा उनके साज-संभाल करने की शिक्षा देता है। 
 
आइए जानते हैं आखिर इस परंपरा का राज क्या हैं? 
 
जी हां, हरियाली यानी श्रावण मास की अमावस्या पर मालवा की परंपरानुसार इस रस्म का निर्वाहन किया जाता है। जिसमें खास तौर पर उज्जैन में इस दिन मेला लगता है और इस दिन पीठ पर मुक्का मार कर उपहार के तौर पर धानी तथा गुड़ दिया जाता है। 
 
इस विशेष परंपरा के पीछे यह कारण है कि हरियाली अमावस्या आपको दर्द सहने की क्षमता प्रदान करती हैं तथा उपहार स्वरूप अन्न दान किया जाता है। 
 
मालवा आंचल में खास तौर पर मनाए जाने इस पर्व में यह मेला उज्जैन में 4 जगहों पर लगता है, जिसमें अनंतपेठ, गोवासा की टेकरी, नागझिरी, नागतलई बुधवारिया यहां खास तौर पर इस मेले की परंपरा है। इसके अलावा गऊघाट, शिप्रा के प्रमुख घाटों तथा आसपास के अन्य ग्रामीण इलाकों तथा स्थानों पर भी महिलाओं तथा युवतियों द्वारा धानी-मुक्का का लुत्फ उठाया जाता है।


इस दिन आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी राजाधिराज महाकाल के दर्शन तथा धार्मिक यात्रा और मेले का आनंद लेने के लिए काफी मात्रा में उज्जैन पहुंचते हैं। 
 
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार हरियाली अमावस्या पर पौधारोपण से लेकर पेड़ पूजन तक का विशेष महत्व बताया गया है। हरियाली अमावस्या हमें प्रकृति और पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा देता हैं, क्योंकि श्रावण मास जहां हरियाली से ओतप्रोत होता है, वहीं इस महीने में पौधारोपण या वृक्ष लगाना करना अतिशुभ और कल्याणकारी माना जाता है।
 
 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में बुध और चंद्रमा कमजोर हो, उन्हें ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए पौधारोपण अवश्य करना चाहिए। इस दिन पौधारोपण करके हरियाली के प्रतीक पौधों या वृक्षों का पूजन-अर्चन करने की मान्यता है। साथ ही हरियाली अमावस्या के दिन भगवान भोलेनाथ का पूजन, नदी अथवा घाटों पर स्नान और पितृओं के निमित्त तर्पण किया जाता है।

इस दिन पेड़-पौधों के रोपण से लेकर धानी-मुक्का खेल खेलने, सावन के झूले झूलने तथा वृक्षों का पूजन करने और पेड़ों को बचाने का संकल्प लेने के साथ-साथ दाल-बाटी बनाने की परंपरा आज भी प्रचलन में है। 

Shravan amavasya 2022
ALSO READ: हरियाली अमावस्या के 15 अदभुत उपाय, देव, पितृ, यक्ष, नाग, गंधर्व सबको करेंगे प्रसन्न

सम्बंधित जानकारी

Show comments

वर्ष 2025 में क्या होगा देश और दुनिया का भविष्य?

Vastu Tips : घर बनाने जा रहे हैं तो जानें कि कितना बड़ा या किस आकार का होना चाहिए

Jupiter Transit 2024 : वृषभ राशि में आएंगे देवगुरु बृहस्पति, जानें 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव

Politicians zodiac signs: राजनीति में कौनसी राशि के लोग हो सकते हैं सफल?

वैशाख मास में दान देने का है खास महत्व, जानें किन चीज़ों का करते हैं दान

Sankashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा

Aaj Ka Rashifal: इन 3 राशियों के रुके कार्य होंगे पूरे, जानें बाकी राशियों के लिए कैसा रहेगा 27 अप्रैल का दिन

कुंडली मिलान में नाड़ी मिलान क्यों करते हैं?

27 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

27 अप्रैल 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख