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श्रावण मास में झूला क्यों झूलते हैं,क्या है मान्यता, जानिए झूला झूलने के फायदे और नुकसान

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सावन में झूला क्यों झूलते हैं?

Benefits of swinging 
सावन का महीना में पांच झूला लई लूं रे... सावन में झूला झूल रहे राधा संग कुंज बिहारी, सावन के झूले पड़े तुम चले आओ..... सावन के झूलों ने मुझको बुलाया, कांटो ने फूलो ने मुझको बुलाया, मैं परदेसी घर वापस आया... ये सभी गाने/लोकगीत आपने सुने और गुनगुनाए होंगे...सावन का महीना चल रहा है और गांवों में और छोटे शहरों में पेड़ों पर झूले बंध गए हैं....तीज-त्योहारों के साथ सावन के महीने में हर दिन झूला झूलने का शुभ महत्व है।  
 
झूले झूलते हुए लोग सावन के मधुर गीत गाते हैं। पहले लोग घर में झूला डाल कर सावन के गीत गाते थे। लेकिन अब ये कम हो गया है। भारतीय गांवों में आज भी हर घर में या विशालकाय पेड़ों पर रस्सी के झूले डलते हैं और उन पर झूला जाता है। क्या आप जानते हैं झूला झूलने का क्या महत्व है, क्या परंपरा है और क्या लाभ हैं आइए जानते हैं... 
महत्व 
कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी को सावन में झूला झूलाया था। तब से यही परंपरा चली आ रही है और हर कोई इस मास में झूला झूलता है और अपनी मनोकामना गीतों के माध्यम से श्रीकृष्ण तक पहुंचाई जाती है। 
 
पुराणों में भोलेनाथ शिव द्वारा माता पार्वती को झूला झूलाने का जिक्र भी मिलता है। 
 
लोकगीतों में श्रीराम जी भी माता सीता सहित तीज त्योहार पर झूाल झूलने का आनंद लेते हैं। 
 
भगवान श्री गणेश, श्रीकृष्ण सहित हर देव के बाल रूप को हिंडोले में झूलाने का महत्व मिलता है। 
 
हरियाली तीज का पर्व तो झूले के बिना अधूरा माना जाता है। 
 
Benefits of swinging : 
 
झूला झूलने से मूड अच्छा होता है।  
 
बॉडी का वर्कआउट हो जाता है। 
 
झूला झूलने से बॉडी फिजिकली और मेंटली दोनों तरह से रिलैक्स महसूस करती है। 
 
रिदमिक तरीके से बॉडी जब आगे और पीछे हिलती है, तो व्यक्ति रिलैक्स महसूस करता है। 
 
हर रोज झूला झूलने से दिन भर की थकान और स्ट्रेस दूर हो सकता है। 
 
-झूला झूलने से बॉडी में हड्डियां और मसल्स मजबूत होती हैं।  
 
बॉडी की एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न होने के साथ शरीर मजबूत बनता है, जिससे स्फूर्ति आती है। 
 
झूला झूलते हुए शरीर और दिमाग का कन्सन्ट्रेशन होना बेहद ज़रूरी होता है।  
 
 नियमित झूला झूलने से कन्सन्ट्रेशन पावर बढ़ती है। 
 
-झूला एक आउटडोर एक्टिविटी है, जो हर किसी को अपनानी चाहिए। 
 
झूला झूलते वक्त बाहर की नेचुरल हवा और सूरज से विटामिन डी की प्राप्ति होती है। 
 
झूला झूलने से बॉडी में वेस्टीब्युलर सिस्टम एक्टिवेट होता है, जिससे शरीर में बैलेंस पॉवर बढ़ती है। 
 
झूला झूलने से व्यक्ति को शरीर के सभी हिस्सों को बैलेंस करना आ जाता है। 
 
शरीर में लचीलापन बढ़ता है। 
 
झूला झूलने से शरीर में ताजी हवा ऑक्सीजन के रूप में जाती है, जिससे फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।
 
इससे लंबाई तेजी से बढ़ने में मदद मिलती है। 
 
झूला झूलते वक्त झूला आगे पीछे होता है, जिसके साथ हमारा शरीर भी आगे पीछे होता है। ये पूरी प्रक्रिया शरीर के वेट और स्पीड पर निर्भर होती है। अत: इससे व्यक्ति अपने आपको संभालना और लहराते हुए भी सचेत रहना सीख जाता है। 
 
सावधानियां  
 
अगर आपको चक्कर आने की समस्या है तो तेज झूले लेने से बचें। 
 
बच्चों को रस्सी वाला झूला अपनी देखरेख में ही झूलाएं क्योंकि यह आपस में उलझकर फांसी भी बन सकता है। 

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