Margashirsha Month: हिन्दू केलैंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह में भगवान श्रीहिरि विष्णु और उनके आठवें रूप श्रीकृष्ण की पूजा का खास महत्व रहता है। यह माह सभी तरह के संकट दूर करने वाला माह है। 19 नवंबर से मार्गशीर्ष मास प्रारंभ हो चुका है। यह माह बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। पुराणों में इस माह की महिमा का वर्णन मिलता है।
1. इस माह में उपवास करने से मनुष्य दूसरे जन्म में रोग और शोक रहित रहता है।
2. मार्गशीर्ष शुक्ल 12 को उपवास प्रारंभ कर प्रति मास की द्वादशी को उपवास करते हुए कार्तिक की द्वादशी को पूरा करना चाहिए। प्रति द्वादशी को भगवान विष्णु के केशव से दामोदर तक 12 नामों में से एक-एक मास तक उनका पूजन करना चाहिए। इससे पूजक 'जातिस्मर' पूर्व जन्म की घटनाओं को स्मरण रखने वाला हो जाता है तथा उस लोक को पहुंच जाता है, जहां फिर से संसार में लौटने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
3. महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि जो मार्गशीर्ष माह में एक समय भोजन करके अपना दिन बिताता है और अपनी शक्ति के साथ दान पुण्य करता है वह समस्त पापों को नष्ट कर देता है।
4. इस माह में सभी गुरुवार को श्रीहरि विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करनी चाहिए। कहते हैं कि इस माह में माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं और वह उस घर में जाती हैं जहां पर उनकी विधिवत पूजा की जा रही है।
5. इस माह में दान पुण्य के साथ ही नदी स्नान करने का खासा महत्व है। अगर इस महीने किसी पवित्र नदी में स्नान का अवसर मिले तो इसे न गंवाएं, अवश्य ही नदी में स्नान करें।
6. शिव पुराण के अनुसार मार्गशीर्ष में चांदी का दान करने से पुरुषत्व की वृद्धि होती है।
7. शिव पुराण की विश्वेश्वर संहित अनुसार केवल अन्नदान करने से सभी तरह के अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है।
8. इस महीने में नित्य श्रीमद्भगवतगीता का पाठ करें। भगवान श्री कृष्ण की उपासना अधिक से अधिक समय तक करें। या, पूरे महीने ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का निरंतर जाप करें। श्री कृष्ण को तुलसी के पत्तों का भोग लगाकर उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
9. इस महीने से संध्याकाल की उपासना अनिवार्य हो जाती है।
10. मार्गशीर्ष के महीने में तेल की मालिश बहुत उत्तम होती है।
11. इस महीने से मोटे परिधानों का उपयोग भी शुरू कर देना चाहिए।
12. इस महीने से चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों का सेवन शुरू कर देना चाहिए।