जीवन का असली उद्देश्य जानिए

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जीवन का उद्देश्य नहीं है, केवल खाना-पीना।
जीवन का उद्देश्य है जग में, जगना और जगाना।


 
- जगने और जगाने का मतलब है संसार के लोगों को ईश्वरोन्मुख करना। यह कार्य वही कर सकता है जिसे ब्रह्म की अनुभूति हो और जिसमें सेवा समर्पण और परोपकार का भाव हो :- 
 
खुद कमाओ, खुद खाओ- यह मानव की प्रकृति है।
कमाओ नहीं, छीनकर खाओ- यह मानव की विकृति है।
खुद कमाओ, दूसरों को खिलाओ- यही हमारी संस्कृति है।
 
मानव जीवन की सफलता के लिए समय का सदुपयोग करें। दौलत से रोटी मिल सकती है पर भूख नहीं। दौलत से बिस्तर मिल सकते हैं, पर नींद नहीं। दौलत से गीता की पुस्तक मिल सकती है पर ज्ञान नहीं। दौलत से मंदिर मिल सकता है पर भगवान नहीं।

आश्चर्य की बात है कि रुपए बर्बाद होने पर आज के मनुष्य को उसका दुख तो होता है। परंतु व्यर्थ ही इधर-उधर की बातों में समय को बर्बाद  करने पर उसको दुख क्यों नहीं होता? 

 
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