तुळजा भवानी की कथा

Webdunia
WD

कृत युग में करदम नामक एक ब्राह्मण साधु थे। उनकी अनुभूति नामक अत्यंत सुंदर व सुशील पत्नी थी।

जब ब्राह्मण करदम की मृत्यु हुई तब अनुभूति ने सती होने का प्रण किया। परंतु गर्भवती होने के कारण उन्हें सती होने का विचार त्यागना पड़ा।

फिर उन्होंने मंदाकिनी नदी के किनारे अपनी तपस्या प्रारंभ कर दी। उस इस दौरान कूकर नामक राजा अनुभूति को ध्यान मग्न देखकर उनकी सुंदरता पर आसक्त हो गया और अनुभूति के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया।

FILE
इस दौरान अनुभूति ने माता से याचना की और वहां मां अवतरित हुईं।

मां के साथ युद्ध के दौरान कूकर एक महिष रूपी राक्षस में परिवर्तित हो गया और महिषासुर कहलाया। मां ने महिषासुर का वध किया और यह पर्व ‘विजयादशमी’ कहलाया।

इसी कारण से मां को ‘त्वरिता’ नाम से भी जाना जाता है, जिसे मराठी में तुळजा भी कहते हैं।

तभी से तुळजा भवानी के मंदिर की ख्याति मराठा राज्य में फैली और यह देवी भोंसले प्रशासकों की कुलदेवी के रूप में पूजी जाने लगीं।

महाराज छत्रपति शिवाजी भी अपने प्रत्येक युद्ध के पहले माता से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां जरूर आते थे।
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पीओके, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का भूगोल और जनसंख्‍या सहित जानिए इतिहास

हनुमान जी के अवतार नीम करोली बाबा के ये 5 संकेत, अच्छे दिनों के आगमन की देते हैं सूचना

महिला ने प्रेमानंद महाराज से पूछा, तीर्थयात्रा में पीरिअड्स आने पर दर्शन करें या नहीं, जानिए महाराज का जवाब

भारत और पाकिस्तान की कुंडली में किसके ग्रह गोचर स्ट्रॉन्ग हैं, क्या मिलेगा PoK

भारत कब करेगा पाकिस्तान पर हमला, जानिए ज्योतिष की सटीक भविष्यवाणी

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 01 मई, माह का पहला दिन, जानें क्या लेकर आया है 12 राशियों के लिए (पढ़ें दैनिक राशिफल)

01 मई 2025 : आपका जन्मदिन

01 मई 2025, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

श्रीनगर में आदि शंकराचार्य के तप स्थल को कश्मीरी लोग क्यों कहते हैं सुलेमानी तख्त?

जूठे बचे भोजन का क्या करना चाहिए? प्रेमानंद महाराज ने बताया उपाय