परशुराम की तपोभूमि उपेक्षा की शिकार

शुरू नहीं हो सका मंदिर का निर्माण

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मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भगवान परशुराम की तपोभूमि (महू) जानापाव की पहाड़ी को तीर्थस्थल की तरह विकसित करने के लिए 11 करोड़ की लागत से कई विकास कार्यों की घोषणा की थी। दो वर्ष बीतने के बाद भी पहाड़ी के विकास की गति धीमी है। जयंती नजदीक आते ही सड़क का निर्माण किया गया है, जबकि मंदिर व अन्य कार्य जस के तस हैं।

उल्लेखनीय है कि 8 मई 2008 को मुख्यमंत्री ने परशुराम जयंती के अवसर पर जानापाव के समग्र विकास हेतु 11 करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की थी। घोषणाओं के अनुसार जानापाव पर लगभग 5 करोड़ की लागत से भव्य परशुराम मंदिर एवं यज्ञशाला का निर्माण होना था। मार्च 2010 तक मात्र 2 करोड़ रुपए ही प्राप्त हुए। इसको लेकर ब्राह्मण संगठनों में नाराजगी है। विकास कार्यों में स्थानीय लोगों व ब्राह्मण संगठनों के बीच चल रही खींचतान के कारण काम की गति धीमी है।

परशुराम जयंती की तिथि 16 मई नजदीक आते ही ब्राह्मण समाज के लोग सक्रिय हुए एवं जानापाव पर चल रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण कर मुख्यमंत्री को स्थिति से अवगत कराया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सड़क, पानी, बिजली आदि से संबंधित कार्यों को 16 मई के पहले पूर्ण करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद आनन-फानन में 14 मई तक सड़क का निर्माण किया। वहीं बिजली एवं पानी पहुँचाने का कार्य भी अंतिम समय में पूरा किया गया।

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सर्व ब्राह्मण समाज के विष्णुप्रसाद शुक्ला का कहना है कि चुनावों के कारण राशि मिलने में देरी से कार्य नहीं हो सके हैं। मुख्यमंत्री की भावना जल्दी ही कार्य कराने की है। उन्होंने एक वर्ष में राशि देने का आश्वासन दिया है। भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन का कहना है कि काम कराने का दायित्व मुख्यमंत्री का नहीं होता है। अधिकारियों के ढीले रवैए के कारण काम नहीं हो सके हैं। दूसरा संगठनों में तालमेल के अभाव से भी काम नहीं हो पाया। जिम्मेदारों ने त्वरित गति से प्रस्तावना के अनुरूप कार्य करना था।

सर्व ब्राह्मण युवा परिषद के विकास अवस्थी का कहना है कि मुख्यमंत्री योजना की घोषणा से मना भी नहीं करते हैं, लेकिन विकास कार्यों के लिए रुपए भी नहीं दे रहे हैं। बार-बार आग्रह कर मुख्यमंत्री का ध्यान दिलाया गया है। अधिकारी भी इस कार्य को करने में रुचि नहीं ले रहे हैं। भगवान परशुराम की जयंती पर मुख्यमंत्री शिवराजसिह चौहान जानापाव आएँगे। वे भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना कर यज्ञ की पूर्णाहुति में शामिल होंगे। इसके बाद वे जानापाव पहाड़ी पर ही आमसभा को संबोधित करेंगे।

घोषणाएँ जिन पर कार्य शुरू नहीं हुए :-

- भगवान परशुराम का भव्य मंदिर बनेगा।
- परशुराम जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रहेगा।
- पुजारी पंचायत का आयोजन होगा।
- परशुराम संग्रहालय व विद्यापीठ की स्थापना।
- श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला व मंदिर पर भोजनशाला, कुंड का जीर्णोद्धार।
- पंचमुखी हनुमान मंदिर पर तालाब निर्माण, विद्युत आपूर्ति हेतु पवन चक्की लगवाना, वृक्षारोपण, उद्गम स्थल से निकली नदियों पर बाँध बनाना।

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