ब्रज भाषा में लिखी श्रीकृष्णचरित मानस!

हजार पृष्ठों में श्रीकृष्णचरित मानस की रचना

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- राजश्री

कहते है कि लेखनी इंसान से सबकुछ लिखवा सकती है। बशर्ते आपकी इच्छा और ललक उसमें होनी चाहिए। ऐसा ही एक करिश्‍मा ‍निमाड़ के एक किसान ने कर दिखाया है। जिनकी उम्र महज पच्चीस वर्ष है। और उन्होंने मात्र 10वीं तक की पढ़ाई की है। उनका मुख्य बिजनेस किसानी का है। उपलब्धि की है- लगभग एक हजार पृष्ठों में श्रीकृष्णचरित मानस की रचना करना और वह भी ब्रज भाषा में।

खरगोन (निमाड़) से करीब 22 किमी दूर गाँव रजूर के किसान रामेश्वर पाटीदार ने श्री रामचरित मानस की तर्ज पर श्रीकृष्णचरित मानस की रचना की है। अंतर इतना है कि इसमें अवधी की जगह ब्रज भाषा का उपयोग किया गया है। लगभग एक हजार पृष्ठों की इस पांडुलिपि में बारह हजार छः सौ दोहे-चौपाइयाँ हैं। पाटीदार बताते हैं कि वे बचपन से ही गाँव के मंदिरों में भजन-कीर्तन में शामिल होते रहे हैं और 10वीं तक पढ़ाई के बाद स्कूल को अलविदा कह दिया।

खेती के अपने परंपरागत पेशे में जुटने के साथ ही उन्होंने अन्य गर्ग संहिता, भागवत पुराण, हरिवंश पुराण, ब्रज पुराण सहित सूर साहित्य का गहन अध्ययन किया।

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वाक्य रचना और व्याकरण समझने के लिए श्रीरामचरित मानस का अध्ययन किया। दो साल, पाँच माह और पंद्रह दिन में लिखी इस रचना में श्रीकृष्ण के जन्म, अवतार के साथ लीलाओं का वर्णन किया गया है। कृष्णचरित मानस के रचयिता इस निमाड़ी किसान का सपना है कि वे इसे कृष्ण भक्तों के लिए जल्द से जल्द प्रकाशित करवा सकें, परंतु उनकी माली हालत इसमें बड़ी बाधा है।

इस संबंध में उनके प्राध्यापक मित्र डॉ. शंभू सिंह मनहर का कहना है कि ग्रामीण लेखक रामेश्वर पाटीदार द्वारा लिखे गए श्रीकृष्णचरित मानस को पढ़कर मन रोमांचित हो गया। यह एक अद्भुत रचना है।

खरगोन के आशीष शुक्ला के अनुसार रामेश्वर ने इस महान रचना को लिखकर गाँव का नाम रोशन कर दिया। हमें उन पर नाज है। श्रीकृष्ण के बारे में 12 हजार से अधिक दोहे-चौपाइयाँ लिखना सचमुच एक अद्‍भुत कार्य है।

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