भवानी माता मंदिर खण्डवा

भीका शर्मा
धर्मयात्रा में हम इस बार आपको लेकर चल रहे हैं खण्डवा के प्रसिद्ध भवानी माता मंदिर में। धूनीवाले दादाजी के दरबार के पास स्थित यह मंदिर माता तुलजा भवानी को समर्पित है।

वीडिय ो देखन े क े लि ए फोट ो प र क्लि क करे ं औ र फोटो गैलरी के लिए यहाँ क्लिक करें।

कहते हैं भगवान राम अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर आए थे और यहाँ उन्होंने नौ दिनों तक तपस्या की थी। नवरात्र में यहाँ नौ दिनों तक मेला लगता ह ै, जिसे देखने और माता के दर्शन करने के लिए प्रतिवर्ष हजारों लोग यहाँ आते हैं ।

मंदिर के गर्भगृह में चाँदी की नक्काशी की गई है। माता का मुकुट और छत्र भी चाँदी से बने हुए हैं। पहले भवानी माता को नकटी माता के नाम से जाना जाता थ ा, परंतु दादाजी धूनीवले के आग्रह पर लोग देवी को भवानी माता के नाम से संबोधित करने लगे।

मंदिर परिसर अत्यंत सुंदर और मनमोहक है। मंदिर के प्रवेश द्वार का स्तंभ शंख की आकृति लिए हुए है। परिसर के अंदर एक विशाल दीपशिखा है, जिस पर शंख की आकृति में दीपक बने हुए हैं ।

भवानी माता के मंदिर के पास ही श्रीराम मंदिर, तुलजेश्वर हनुमान मंदिर और तुलजेश्वर महादेव मंदिर स्थित हैं। इन मंदिरों में स्थापित मूर्तियाँ अत्यंत दर्शनीय हैं। बिन माँगी मुरादें पूरी करने वाली तुलजा भवानी का यह मंदिर सम्पूर्ण निमाड़ क्षेत्र की आस्था का प्रमुख केन्द्र है ।

कैसे पहुँचें : खण्डवा भारत के सभी प्रमुख शहरों से रोड और रेल से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्या एयरपोर्ट, इंदौर करीब 140 किमी की दूरी पर स्थित है।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

कई मंगलकारी योग में मनाई जाएगी कजरी तीज, जानें रीति रिवाज, व्रत की तिथि, पूजा और पारण समय

कब से प्रारंभ हो रहे हैं श्राद्ध पक्ष और कब है पितृपक्ष की सर्वपितृ अमावस्या?

भादो माह में क्या नहीं खाना चाहिए और क्या करना चाहिए?

अगस्त में सितारों का खेल: इस हफ्ते आपके जीवन में क्या-क्या होगा?

बुध का कर्क राशि में उदय, 5 राशियों को रहना होगा संभलकर

सभी देखें

धर्म संसार

13 अगस्त 2025 : आपका जन्मदिन

13 अगस्त 2025, बुधवार के शुभ मुहूर्त

पंजीरी भोग क्या है, क्यों है भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय

जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्‍ण को 8 वक्त क्यों लगाएं भोग, जानिए रहस्य

भारत के नए संसद भवन में खतरनाक वास्तु दोष, देश में फैलेगी अराजकता, सीमाओं पर भड़केगा युद्ध