Hanuman Chalisa

चिंतामण गणेश मंदिर उज्जैन

इनके दर्शन से चिंता दूर होती, इच्छा पूर्ण होती है...

वृजेन्द्रसिंह झाला
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से करीब 6 किलोमीटर दूर ग्राम जवास्या में भगवान गणेश का प्राचीनतम मंदिर स्थित है। इसे चिंतामण गणेश के नाम से जाना जाता है। गर्भगृह में प्रवेश करते ही हमें गौरीसुत गणेश की तीन प्रतिमाएं दिखाई देती हैं। यहां पार्वतीनंदन तीन रूपों में विराजमान हैं। पहला चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक।
ऐसी मान्यता है कि चिंतामण गणेश चिंता से मुक्ति प्रदान करते हैं, जबकि इच्छामन अपने भक्तों की कामनाएं पूर्ण करते हैं। गणेश का सिद्धिविनायक स्वरूप सिद्धि प्रदान करता है। इस अद्भुत मंदिर की मूर्तियां स्वयंभू हैं। गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले जैसे ही आप ऊपर नजर उठाएंगे तो चिंतामण गणेश का एक श्लोक भी लिखा हुआ दिखाई देता है... 
 
कल्याणानां निधये विधये  संकल्पस्य कर्मजातस्य।
निधिपतये गणपतये चिन्तामण्ये नमस्कुर्म:। 
 
चिंतामण गणेश मंदिर परमारकालीन है, जो कि 9वीं से 13वीं शताब्दी का माना जाता है। इस मंदिर के शिखर पर सिंह विराजमान है। वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में हुआ। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चिंतामण गणेश सीता द्वारा स्थापित षट् विनायकों में से एक हैं। 
 
जब भगवान श्रीराम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अवंतिका खंड के महाकाल वन में प्रवेश किया था तब अपनी यात्रा की निर्विघ्नता के लिए षट् विनायकों की स्थापना की थी। ऐसी भी मान्यता है कि लंका से लौटते समय भगवान राम, सीता एवं लक्ष्मण यहां रुके थे। यहीं पास में एक बावड़ी भी है जिसे लक्ष्मण बावड़ी के नाम से जाना जाता है। बावड़ी करीब 80 फुट गहरी है। 
 
मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित सीताराम ने बताया कि गणेश चतुर्थी, तिल चतुर्थी और प्रत्येक बुधवार को यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। चैत्र मास के प्रत्येक बुधवार को यहां मेला भी भरता है। मनोकामना पूर्ण होने पर हजारों श्रद्धालु दूरदराज से पैदल चलकर मंदिर तक पहुंचते हैं। सीताराम पुजारी बताते हैं कि सिंदूर और वर्क से प्रात: गणेशजी का श्रृंगार किया जाता है, जबकि पर्व और उत्सव के दौरान दो बार भी लंबोदर गणेश का श्रृंगार किया जाता है।
 
पुजारी बताते हैं कि मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रद्धालु यहां मन्नत का धागा बांधते हैं और उल्टा स्वस्तिक भी बनाते हैं। मन्नत के लिए दूध, दही, चावल और नारियल में से किसी एक वस्तु को चढ़ाया जाता है और जब वह इच्छा पूर्ण हो जाती है तब उसी वस्तु का यहां दान किया जाता है।
नवविवाहित जोड़ों के साथ ही नए वाहन खरीदने वाले लोग यहां विशेष रूप से विघ्नविनाशक गणेश का आशीर्वाद लेने आते हैं। मंदिर में पीढ़ियों से दो परिवार के पंडित ही पूजा करते आ रहे हैं। वर्तमान में सीताराम पुजारी के अलावा कैलाशचंद्र पुजारी, शंकर पुजारी और मनोहर पुजारी मंदिर में पूजा करते हैं। 
 
कैसे पहंचे : 
निकटतम हवाई अड्डा  इंदौर यहां से करीब 60 किलोमीटर दूर है।
रेल, बस और टैक्सियों से भी यहां पहुंचा जा सकता है।
ठहरने के लिए यहां होटल और धर्मशालाएं भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं। 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev uthani ekadashi deep daan: देव उठनी एकादशी पर कितने दीये जलाएं

यदि आपका घर या दुकान है दक्षिण दिशा में तो करें ये 5 अचूक उपाय, दोष होगा दूर

Dev Uthani Ekadashi 2025: देव उठनी एकादशी की पूजा और तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि

काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख पर '94' लिखने का रहस्य: आस्था या अंधविश्‍वास?

Vishnu Trirat Vrat: विष्णु त्रिरात्री व्रत क्या होता है, इस दिन किस देवता का पूजन किया जाता है?

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (06 नवंबर, 2025)

06 November Birthday: आपको 6 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 06 नवंबर, 2025: गुरुवार का पंचांग और शुभ समय

वक्री बृहस्पति: 11 नवंबर से अगले 25 दिन इन 5 राशियों के लिए बेहद कठिन रहेंगे

Kaal Bhairav Puja 2025: काल भैरव अष्टमी पर करें इस तरह भगवान की पूजा, सभी संकट होंगे दूर