rashifal-2026

श्री क्षेत्र मढ़ी देवस्थान

Webdunia
धर्मयात्रा की इस कड़ी में हम आपको लेकर चलते हैं नाथ संप्रदाय के नौ नाथ में से एक कानिफनाथ महाराज के समाधि स्थल पर। महाराष्ट्र की सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में गर्भगिरि पर्वत से बहने वाली पौनागि‍रि नदी के पास ऊंचे किले पर मढ़ी नामक गांव बसा हुआ है और यहीं है इस महान संत की समाधि।
 
 
इस किले पर श्री कानिफनाथ महाराज ने 1710 में फाल्गुन मास की वैद्य पंचमी पर समाधि ली थी, जहां लाखों श्रद्धालुओं की आस्था बसी हुई है। इस किले के तीन प्रवेश द्वार हैं। कहा जाता है कि यहां की रानी येसूबाई ने कानिफनाथ महाराज से अपने पुत्र छत्रपति शाहू महाराज की औरंगजेब बादशाह की कैद से रिहाई के लिए मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने पर उन्होंने मंदिर व किले का निर्माण कराया। 
 
 
इस मंदिर के निर्माण कार्य में यादव, कैकाडी, बेलदार, वैद्य, गारुड़ी, लमाण, भिल्ल, जोशी, कुंभार और वडारी सहित कई जाति-वर्ग के लोगों ने अपना तन-मन और धन से सहयोग दिया। इसलिए इस तीर्थस्थल को दलितों के पंढरी नाम से भी जाना जाता है। यहां के कई समुदाय श्री कानिफनाथ महाराज को कुल देवता के रूप में पूजते हैं। इस जिले के गर्भगिरि पर्वत पर श्री कानिफनाथ महाराज के साथ ही गोरक्षनाथ, मच्छिंद्रनाथ, गहिनीनाथ और जालिंदरनाथ महाराज की भी समाधियाँ स्थापित हैं।
 
कहा जाता है कि कानिफनाथ महाराज हिमालय में हाथी के कान से प्रकट हुए थे। कानिफनाथ महाराज ने बद्रीनाथ में भागीरथी नदी के तट पर 12 वर्ष तपस्या की और कई वर्ष जंगलों में गुजार कर योग साधना की। तत्पश्चात उन्होंने दीन-दलितों को अपने उपदेशों के माध्यम से भक्तिमार्ग पर प्रशस्त होने की भावना जागृत की। 
 
 
उन्होंने दलितों की पीड़ा दूर करने के विषय पर साबरी भाषा में कई रचनाएं कीं। कहते हैं इन रचनाओं के गायन से रोगियों के रोग दूर होने लगे। आज भी लोग अपने कष्ट निवारण के लिए महाराज के द्वार पर चले आते हैं।
 
 
ऐसा माना जाता है कि डालीबाई नामक एक महिला ने नाथ संप्रदाय में शामिल होने के लिए श्री कानिफनाथ महाराज की कठोर तपस्या की थी। फाल्गुन अमावस्या के दिन डालीबाई ने समाधि ली थी। समाधि लेते समय कानिफनाथ ने अपनी शिष्या को स्वयं प्रकट होकर दर्शन दिए थे।
 
 
इसी समाधि पर कालांतर में एक अनार का वृक्ष उग आया। कहते हैं कि इस पेड़ पर रंगीन धागा बांधने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आज भी मंदिर परिसर में गांव की पंचायत लगती है जहां लोगों के आपसी झगड़ों को न्यायपूर्वक सुलझाया जाता है इसलिए इस तीर्थक्षेत्र को सर्वोच्च न्यायालय समझा जाता है।

 
कैसे जाएं:-
हवाई मार्ग:- अहमदनगर से पुणे हवाईअड्डा सबसे निकट है। पुणे से अहमदनगर लगभग 121 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग:- अहमदनगर पहुंचने के लिए पुणे से रेल सेवा उपलब्ध है।
सड़क मार्ग:- मढ़ी गांव अहमदनगर से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने हेतु सरकारी बस या निजी वाहन उपलब्ध हैं।
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Shukra gochar: शुक्र के वृश्‍चिक में मार्गी होने से 4 राशियों पर बरसेगी लक्ष्मी की कृपा! करें मात्र एक उपाय

बुध के मार्गी होने से 3 राशियों को मिलेगी आर्थिक समस्या से मुक्ति

हरिद्वार अर्धकुंभ 2027, स्नान तिथियां घोषित, जानिए कब से कब तक चलेगा कुंभ मेला

Toilet Vastu Remedies: शौचालय में यदि है वास्तु दोष तो करें ये 9 उपाय

Dhanu Rashi 2026: पराक्रम का राहु और अष्टम का गुरु मिलकर करेंगे भविष्य का निर्माण

सभी देखें

धर्म संसार

Guru gochar 2025: बृहस्पति के मिथुन राशि में गोचर से 5 राशियों को रहना होगा संभलकर

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (03 दिसंबर, 2025)

03 December Birthday: आपको 3 दिसंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 03 दिसंबर, 2025: बुधवार का पंचांग और शुभ समय

श्री दत्तात्रेय दत्ताची आरती: Dattatreya aarti