महाराष्ट्र का एक गाँव

जहाँ लगता है भूतों का मेला

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नरेन्द्र राठौ ड़
हमारा देश गाँवों में बसता है। वहाँ के भोले-भाले लोग, खुली हवा और मेले सभी बेहद मनमोहक होते हैं। कहीं मेलों में झूले लगते हैं, तो कहीं हाट-बाजार। यूँ देखा जाए तो गाँववासियों की खुशी का, उनके मनोरंजन का केंद्र ये मेले ही हैं। ‘आस्था और अंधविश्वा स ’ की इस कड़ी में हम आपको दिखा रहे हैं एक ऐसा ही मेला, लेकिन इस मेले में इनसानों के साथ-साथ भूत भी शिरकत करते हैं। चौंकिए नहीं... हम आपको दिखा रहे हैं महाराष्ट्र के जलगाँव जिले के चोरव ड गाँव में लगने वाले भूतों के मेले का नजारा।
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हमें मिली जानकारी के अनुसार गाँव में हर साल दत्त जयंती के दिन भूतों का मेला लगता है। यह सुन दत्त जयंती के दिन हमने भी चोरवड गाँव का रुख किया। गाँव के नजदीक पहुँचते ही हमें मेले में जाते लोगों के समूह दिखे। हर समूह में दो-तीन लोग मानसिक रूप से बीमार लग रहे थे।

  गाँव में हर साल दत्त जयंती के दिन भूतों का मेला लगता है। यह सुन दत्त जयंती के दिन हमने भी चोरवड गाँव का रुख किया। गाँव के नजदीक पहुँचते ही हमें मेले में जाते लोगों के समूह दिखे। हर समूह में दो-तीन लोग मानसिक रूप से बीमार लग रहे थे      
जब हमने इन लोगों से बात करना चाही, तो इनके साथियों ने बताया कि ये सभी प्रेतबाधा से पीड़ित हैं, इसलिए इन्हें चोरवड मेले में ले जा रहे हैं। मेले में शामिल होने जा रहे एक व्यक्ति का कहना था कि दत्त महाराज की हम पर बड़ी कृपा है। ऐसे व्यक्ति जो ऊपरी बाधा से पीड़ित हैं, वे खुद-ब-खुद दत्त देवस्थान की ओर खिंचता चला जाता है।

इन लोगों से बातचीत करते हुए हम मेले में पहुँच गए। आम मेलों की तरह यहाँ भी बड़े-बड़े झूले लगे थे, लेकिन इन झूलों और खाने के ठेलों के बीच हमें हर जगह झूमते व खुद को तकलीफ देते लोग दिखाई दे रहे थे। हिस्टीरिया के दौरे की तरह ये लोग चीख-चिल्ला रहे थे। कुछ अपने आप से बात करने में मगन थे।

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धीरे-धीरे इन लोगों का पागलपन बढ़ता जा रहा था। ये अजीब तरह से चीख-चिल्ला रहे थे। कुछ देर बाद हमने देखा कि ऐसे विक्षिप्त लोग एक चबूतरे पर जाकर मत्था टेक रहे थे। मत्था टेकने के कुछ देर बाद इन लोगों ने अजीब हरकतें करना कम या बंद कर दिया। साथ में आए लोगों का मानना था कि अब उनका साथी प्रेतबाधा से मुक्त हो गया है। हम पूरे दिन मेले में घूमते रहे। हमें कई प्रेतबाधा से पीड़ित लोग मिले। एक खास बात जो हमने गौर की वो यह थी कि ऐसे पीड़ितों में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी।

इन लोगों से मिलकर हमें लगा कि पीड़ित लोग मानसिक बीमारी के घेरे में हैं। हमें महसूस हुआ कि इन लोगों को अच्छी मनोचिकित्सा और प्यार की जरूरत है, लेकिन मेले में आए लोगों का दावा था कि यदि आप ईश्वर पर विश्वास करते हैं, तो आपको भूतों पर भी विश्वास करना होगा। इस बारे में आप क्या सोचते हैं? हमें बताइएगा।
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