Biodata Maker

स्पर्श से भगाएँ रोग...

ब्रह्मांड शक्ति से चिकित्सा की अनोखी रीति

Webdunia
- शशिमोहन
क्य ा किसी व्यक्ति का स्पर्श आपकी लाइलाज बीमारी को ठीक कर सकता है। क्या ईश्वर से ऊपर कोई शक्ति है ...आप मानें या न मानें लेकिन केरल में रहने वाले एक व्यक्ति का यही दावा है। जी हाँ, आस्था और अंधविश्वास की इस कड़ी में हम आपकी मुलाकात करवा रहे हैं केरल के आचार्य एमडी रवि मास्ट र से। एमडी मास्टर खुद को ‘ब्रह्मगुर ु ’ कहते हैं। इनका दावा है कि वे सिर्फ स्पर्श के माध्यम से व्यक्ति को स्वस्थ कर सकते हैं। उसके नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदल सकते हैं। इसके साथ ही वे अपने अनुयायियों को नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखने के लिए पवित्र जल भी देते हैं।

वीडियो देखने के लिए फोटो पर क्लिक करें और फोटो गैलरी देखने के लिए यहां क्लिक करें...

यह जानकारी मिलने के बाद हमारी टीम केरल राज्य के कोट्टयम जिले के चँगनास्सेरी नामक स्थान पर पहुँची, जो त्रिवेंद्रम से 135 और कोच्चि से करीब 87 किलोमीटर दूर स्थित है। इस जगह को ‘ब्रह्म धर्माल य ’ के नाम से जाना जाता है।

जब हम वहाँ पहुँचे तो वहाँ लगी भीड़ को देखकर चौंक गए। बातचीत में पता चला कि ये सभी लोग ‘ब्रह्मगुर ु ’ के नाम से पहचाने जाने वाले आचार्य एमडी रवि मास्टर से इलाज करवाने आए थे। हमने देखा कि एक तेजस्वी व्यक्ति अनोखे ढंग से उनके अंदर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकाल रहे थे और सकारात्मक ऊर्जा से उनकी बीमारी दूर कर रहे थे। ये ही आचार्य एमडी रवि मास्टर थे।

उन्होंने हमें बताया कि उनके उपचार की यह प्रणाली ‘ब्रह्मज्ञा न ’ की आध्यात्मिक शक्तियों पर आधारित है, जो एक सर्वव्यापी ऊर्जा है। वे इसी ऊर्जा से मरीज की बीमारियों का इलाज करते हैं। खास बात यह है कि उनका यह उपचार सभी के लिए निःशुल्क है।

रवि मास्टर का यह भी दावा है कि वे अपनी प्रार्थना के वक्त किसी भी देवी-देवता से बात कर सकते हैं, पर दूसरी ओर वे यह भी मानते हैं कि वे कोई जीवित ईश्वर नहीं हैं। वे इस कार्य को अपनी किस्मत मानते हैं, जिसका उद्देश्य लोगों की सेवा करना है।

WDWD
उनके पास आने वाले लोगों का दावा है कि वे बिना किसी दवा के सिर्फ अपने ब्रह्मज्ञान के जरिये लोगों की तकलीफें हर लेते हैं। इसके लिए सबसे पहले वे बीमार की नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालते हैं, फिर अपने हाथों को माध्यम बनाकर ब्रह्मांड की सकारात्मक ऊर्जा उसके अंदर संचारित करते हैं। इस प्रकिया के बाद रोगी बिलकुल स्वस्थ हो जाता है। यहाँ के लोगों की मान्यता है कि ब्रह्मगुरु के हाथों और माथे से लगातार सकारात्मक ऊर्जा निकलती रहती है। इस ऊर्जा के तेज के कारण उनके पास नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए आए लोग बदहवास हो जाते हैं।

ब्रह्मगुरु के तेज को न सह पाने के कारण वे अजीबोगरीब हरकतें करने लगते हैं। ब्रह्मगुरु कुछ ही देर में उनकी नकारात्मक ऊर्जा को बाहर कर उनमें सकारात्मकता का संचार करते हैं। माना जाता है कि इस छोटी-सी प्रकिया के बाद नशेड़ी व्यक्ति हमेशा के लिए नशे की लत से छुटकारा पा जाता है।

WDWD
रवि मास्टर का मानना है कि इस तरह के सारे अवगुण नकारात्मक प्रवृत्ति की देन हैं। अपने उपचार से वे रोगियों को शांत व संयमित बना देते हैं।

नशे की लत के अलावा उनके धर्मालय में उनसे उपचार करवाने के लिए कई तरह के मानसिक और शारीरिक रोगों से ग्रसित लोग आते हैं, जिन्हें वे ठीक करने का दावा करते हैं। आश्चर्य की बात यह भी है कि वे सोराइसिस नामक घातक चर्मरोग का भी उपचार कर सकते हैं, जिसकी अभी तक कोई दवा नहीं बनी है।

उनके इस आश्रम में किसी भी देवी-देवता की कोई मूर्ति नहीं है, जिसकी पूजा-अर्चना की जाती हो। उनका मानना है कि एक सर्वव्यापी शक्ति है, जो ईश्वर, अल्लाह या जीजस सबसे ऊपर है या मानें तो इन ईश्वरीय शक्तियों की जन्मदाता है।

WDWD
रवि मास्टर से ‘ब्रह्मगुर ु ’ बनने का सफर - रवि मास्टर का जन्म 1953 में कोट्टयम जिले के त्रिवानांचुर नामक स्थान पर हुआ था। बचपन से ही रवि मास्टर की रुचि लोगों के भविष्यफल को जानने में थी। वे अपने रिश्तेदारों को उनके भूत-भविष्य से जुड़ी कई अजीबोगरीब बातें बताते थे, जिनके सच होने पर सभी आश्चर्यचकित हो जाते थे।

युवावस्था में उन्होंने दर्जी का पेशा चुना और इस क्षेत्र में महारत हासिल करने में जुट गए । विवाह के उपरांत 1986 में उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, लेकिन बेटे का वजन मात्र 750 ग्राम था। बेटा कुछ बड़ा हुआ तो पता चला कि वह न तो देख सकता है और न ही चल-फिर सकता है। वे उसे लेकर एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर तक भटकते रहे, लेकिन कोई लाभ न हुआ। अंत में उन्होंने ईश्वर की उपासना को ही अपना आखिरी रास्ता माना और ईश्वर से प्रार्थना प्रारंभ कर दी।

WDWD
जनवरी 1993 में एक बार जब वे पूजा के लिए दीया जला रहे थे, तो एक चमत्कारिक शक्ति कहीं बाहर से आकर उनके शरीर में से गुजरी। उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनके सामने रखा हुआ दीपक स्वयं उनके ही प्रकाश से जगमगा रहा था। उन्हें कुछ भी नहीं समझ आ रहा था कि उनके कानों में एक मधुर आवाज आई कि घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
उन्हें लगा कि कोई उनसे कह रहा है कि मैं ब्रह्मा हूँ, जिसने पूरे ब्रह्मांड और जीवन का सृजन किया है। अब मैं तुम्हारे भीतर समा चुका हूँ। अब तुम्हारे द्वारा हजारों-लाखों लोग उपचार प्राप्त करके गंभीर से गंभीर बीमारियों से छुटकारा पा सकेंगे और अपने जीवन को श्रेष्ठ तराके से जी सकेंगे। पुत्र की चिंता न करो, वह चार ही दिनों में बिलकुल स्वस्थ हो जाएगा।

WDWD
पहले तो रवि मास्टर को लगा कि यह एक स्वप्न है, पर चौथे दिन उनका बेटा उनके समक्ष चलकर खड़ा हो गया और उसकी आँखों की ज्योति भी वापस लौट आई। तब उन्हें लगा कि उनके अंदर स्वयं ब्रह्मा का निवास है। तब से ही उन्होंने उस दीपक वाली घटना में मिले आदेश का पालन करना प्रारंभ कर दिया।

उस घटना के बाद उन्होंने पूरी तरह से नकारात्मकता द्वारा उत्पन्न लोगों की व्याधियों का निवारण करना प्रारंभ कर दिया। इन बीमारियों में कैंसर, सोरासिस, कमर दर्द और सिर दर्द जैसे रोगों का भी उन्होंने उपचार किया जिसके लिए अभी तक कोई दवा नहीं है।

वे कहते हैं कि मैं केवल मानवता की सेवा कर रहा हूँ। उनका यह उपचार बिलकुल निःशुल्क है। वे दावा करते हैं कि अभी तक तकरीबन आठ लाख से भी अधिक लोग इस उपचार प्रणाली द्वारा आराम पा चुके हैं, जिसे ब्रह्म ध्यान प्रणाली के रूप में जाना जाता है।

WDWD
ब्रह्मतीर्थ- रवि मास्टर आगंतुकों को साल में एक बार ‘ब्रह्मतीर् थ ’ नामक पवित्र जल देते हैं। वे विशेष समय में रोगियों का उपचार करते हैं। वे बताते हैं कि उन्हें अपने स्वयंभू दीपक से इन खास दिनों के निर्देश मिलते है ं, जिसे वे अपने अनुयायियों को बता देते हैं। इन खास दिनों में नवग्रहों की अद्भुत शक्ति ब्रह्मगुरु के शरीर में केंद्रित हो जाती ह ै, जिसे वे जल में विसर्जित करते हैं। यह जल इस दीपक के सामने रखा होता है। रवि मास्टर इस जल को अपने अनुयायियों में बाँट देते है ं । माना जाता है कि इस पवित्र जल के सेवन से लोग नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहते हैं ।

जो लोग इस दैविक जल का सेवन करते हैं, उनके सारे पाप धुल जाते हैं और वे पूर्ण स्वस्थ हो जाते हैं। उन्हें उनके सभी रोगों से छुटकारा मिलता है। ब्रह्मगुरु के अनुसार मृत्यु के उपरांत भी जीवन है। मौत के बाद कुछ आत्माएँ काली शक्तियों के वश में हो जाती हैं, जिसे हम नरक कहते हैं और कुछ चंद्र मंडल में रहती हैं, जिसे हम स्वर्ग कहते हैं। जो लोग इस पवित्र जल को ग्रहण करते हैं, उनके परिवारजनों को किसी भी तरह का क्रिया-कर्म नहीं करना पड़ता है। उनकी आत्माओं को काली शक्तियाँ नहीं छू सकती हैं और वे स्वर्ग ही पहुँचते हैं।

हमारे सामने ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनसे उनके उपचार की क्षमता का पता चलता है, परंतु आधुनिक विज्ञान ऐसी किसी भी शक्ति को प्रामाणिक नहीं मानता है। उनके पास आने वाले लोगों का मानना है कि यह भी एक तरह की वैकल्पिक दवा है। हीलिंग के जरिये असाध्य रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। आपको क्या लगता है? क्या आप मानते हैं कि स्पर्श या पवित्र जल का सेवन करने से हर तरह की बीमारी का उपचार किया जा सकता है।
Show comments

Mahavir Nirvan Diwas 2025: महावीर निर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है? जानें जैन धर्म में दिवाली का महत्व

Diwali Muhurat 2025: चौघड़िया के अनुसार जानें स्थिर लग्न में दीपावली पूजन के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

Bhai dooj 2025: कब है भाई दूज? जानिए पूजा और तिलक का शुभ मुहूर्त

Govardhan Puja 2025: अन्नकूट और गोवर्धन पूजा कब है, जानिए पूजन के शुभ मुहूर्त

Diwali Vastu Tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार दिवाली पर कौन सी चीजें घर से निकालें तुरंत?, जानें 6 टिप्स

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (24 अक्टूबर, 2025)

24 October Birthday: आपको 24 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 24 अक्टूबर, 2025: शुक्रवार का पंचांग और शुभ समय

Mercury Transit in Scorpio 2025: बुध का वृश्चिक राशि में गोचर: 6 राशियों को मिलेगा अप्रत्याशित लाभ

Chhath puja nahay khay: छठ पूजा का नहाए खाए कब है, जानिए पहले दिन के रीति रिवाज