जानिए प्राचीन शहर यरूशलम को

यहूदी, ईसाई और मुसलमान धर्म का संगम स्थल

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भूमध्य सागर और मृत सागर के बीच इसराइल की सीमा पर बसा यरूशलम एक शानदार शहर है। शहर की सीमा के पास दुनिया का सबसे ज्यादा नमक वाला डेड-सी यानी मृत सागर है। कहते हैं यहां के पानी में इतना नमक है कि इसमें किसी भी प्रकार का जीवन नहीं पनप सकता और इसके पानी में मौजूद नमक के कारण इसमें कोई डूबता भी नहीं है।

मध्यपूर्व का यह प्राचीन नगर यहूदी, ईसाई और मुसलमान का संगम स्थल है। उक्त तीनों धर्म के लोगों के लिए इसका महत्व है, इसीलिए यहां पर सभी अपना कब्जा बनाए रखना चाहते हैं। जेहाद और क्रूसेड के दौर में सलाउद्दीन और रिचर्ड ने इस शहर पर कब्जे के लिए बहुत सारी लड़ाइयां लड़ी। ईसाई तीर्थयात्रियों की रक्षा के लिए इसी दौरान नाइट टेम्पलर्स का गठन भी किया गया था।

इसराइल का एक हिस्सा है गाजा पट्टी और रामल्लाह। जहां फिलिस्तीनी मुस्लिम लोग रहते हैं और उन्होंने इसराइल से अलग होने के लिए विद्रोह छेड़ रखा है। यह लोग यरूशलम को इसराइल के कब्जे से मुक्त कराना चाहते हैं। अंतत: इस शहर के बारे में जितना लिखा जाए कम है। काबा, काशी, मथुरा, अयोध्या, ग्रीस, बाली, श्रीनगर, जाफना, रोम, कंधहार आदि प्राचीन शहरों की तरह ही इस शहर का इतिहास भी बहुत महत्व रखता है।

प्राचीन और नया शहर :
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माउंट ऑफ ओलिब्स पर खड़े होकर आप सामने यरूशलम के प्राचीन शहर को देखते हैं, तो उसके मनोरम और भव्य दृश्य का नजारा देख आप मंत्रमुग्ध होकर सोचना बंद कर देते हैं। ओलिब्स पहाड़ी से सुंदर गुंबद और गुंबदों के पीछे दीवार नजर आती है। एक वर्ग किलोमीटर की पहाड़ी दीवारों से घिरा हजारों सालों का इतिहास लिए यह शहर दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी की आस्था का केंद्र हैं।

इतिहास और विवाद :
हिब्रू में लिखी बाइबिल में इस शहर का नाम 700 बार आता है। यहूदी और ईसाई मानते हैं कि यही धरती का केंद्र है। राजा दाऊद और सुलेमान के बाद इस स्थान पर बेबीलोनियों तथा ईरानियों का कब्जा रहा फिर इस्लाम के उदय के बाद बहुत काल तक मुसलमानों ने यहां पर राज्य किया। इस दौरान यहूदियों को इस क्षेत्र से कई दफे खदेड़ दिया गया।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसराइल फिर से यहूदी राष्ट्र बन गया तो यरूशलम को उसकी राजधानी बनाया गया और दुनिया भर के यहूदियों को पुन: यहां बसाया गया। यहूदी दुनिया में कहीं भी हों, यरूशलम की तरफ मुंह करके ही उपासना करते हैं।

ऐतिहासिक म्‍यूजियम व स्मारक :
धार्मिक स्थलों के अलावा यहां प्राचीन एवं धार्मिक ग्रंथों का 'द इसराइल म्‍यूजियम' है। इसराइल का होलोकॉस्‍ट म्‍यूजियम जिसे याद वशेम कहा जता है जिसका खासा महत्व है। यहां पर यरूशलम के इतिहास से संबंधित दस्तावेज और शहीदों के स्मारक व स्मृति चिह्नों आदि के बारे में जानकारी है। दोनों ही म्‍यूजियम का इतिहास बहुत पुराना है।

यरूशलम के जंगल :
मुस्लिम इलाके में स्थित 35 एकड़ क्षेत्रफल में फैले नोबेल अभयारण्य में ही अल अक्सा मस्जिद, डोम ऑफ द रॉक, फव्‍वारे, बगीचे, गुंबद और प्राचीन इमारतें बनी हुई हैं। इसके अलावा छोटे से गॉर्डन ऑफ गेथेमिन की खूबसूरती भी देखने लायक है। इसके अलावा याद वशेम का इलाका भी यरूशलम के जंगल के नाम से प्रसिद्ध है।

पवित्र परिसर :
किलेनुमा चाहरदीवारी से घिरे पवित्र परिसर में यहूदी प्रार्थना के लिए इकट्ठे होते हैं। इस परिसर की दीवार बहुत ही प्राचीन और भव्य है। यह पवित्र परिसर ओल्ड सिटी का हिस्सा है। पहाड़ी पर से इस परिसर की भव्यता देखते ही बनती है। इस परिसर के ऊपरी हिस्से में तीनों धर्मों के पवित्र स्थल हैं। उक्त पवित्र स्थल के बीच भी एक परिसर है।

यरूशलम में लगभग 1204 सिनेगॉग, 158 गिरजें, 73 मस्जिदें, बहुत-सी प्राचीन कब्रें, 2 म्‍यूजियम और एक अभयारण्य है। इसके अलावा भी पुराने और नए शहर में देखने के लिए बहुत से दर्शनीय स्थल हैं। यरूशलम में जो भी धार्मिक स्थल हैं, वे सभी एक बहुत बड़ी-सी चौकोर ‍दीवार के आसपास और पहाड़ पर स्थित है।

दीवार के पास तीनों ही धर्म के स्थल हैं। यहां एक प्राचीन पर्वत है जिसका नाम जैतून है। इस पर्वत से यरूशलम का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। इस पर्वत की ढलानों पर बहुत-सी प्राचीन कब्रें हैं। यरूशलम चारों तरफ से पर्वतों और घाटियों वाला इलाका नजर आता है।

प्रस्तुति- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

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