वृंदावन के कृष्ण मंदिर से होगा ताज का दीदार

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भगवान कृष्ण की लीलाभूमि वृंदावन में उनका एक ऐसा भव्य और गगनचुंबी मंदिर बन रहा है जिसमें 700 फुट की ऊंचाई तक लिफ्ट से पहुंचा जा सकेगा और मंदिर में गोविंद माधव के दर्शन के साथ ही ताजमहल का भी दीदार किया जा सकेगा।
 

 
ब्रज के वनों से घिरे इस मंदिर का पूरा क्षेत्र 65 एकड़ भूमि पर फैला होगा। मंदिर का आधार 5 एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित है जिसमें श्रीकृष्ण की जीवनलीलाओं पर आधारित एक संग्रहालय भी होगा। संग्रहालय के जरिए श्रद्धालु भगवान के दर्शन के साथ ही देश के विभिन्न भागों में भगवान कृष्ण के अलग-अलग रूपों और तरीकों से परिचित हो सकेंगे। इस संग्रहालय में भगवान की लीला से जुड़े कलात्मक उत्सव देश की विभिन्न संस्कृतियों के आधार पर प्रदर्शित किए जाएंगे।
 
मंदिर के चारों ओर कथाओं में वर्णित वृंदावन के वनों की तर्ज पर वन विकसित किए जाएंगे। यह वनक्षेत्र 26 एकड़ भूमि पर होगा और इसका खाका दुनिया के श्रेष्ठ डिजाइनरों द्वारा तैयार किया जाएगा। यह क्षेत्र कानन के द्वादश यानी ब्रज के 12 वनक्षेत्र के रूप में विकसित होगा जिसमें विभिन्न तरह की वनस्पति, हरे चरागाह, फलदार वृक्ष, कुछ सुगंधित पौधे तथा तरह-तरह के फूलों से लदी लताएं होंगी, जहां पक्षियों का कलरव जैसे माधव के कानन की तरह सुनाई देगा।
 
वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के उपाध्यक्ष (संचार) भरतसभा दास का कहना है कि मंदिर की ऊंचाई 210 मीटर यानी लगभग 70 मंजिला भवन के बराबर होगी। मंदिर के शीर्ष पर एक गुम्बद होगा, जहां लिफ्ट से पहुंचा जाएगा और श्रद्धालु वहां से आगरा के ताजमहल के दीदार भी कर सकेंगे। उनका कहना है कि इस मंदिर के बनने के बाद भारत की आध्यात्मिक राजधानी वृंदावन में पर्यटन बढ़ जाएगा और राधा-माधव के भक्त बड़ी संख्या में वृंदावन का रुख करेंगे।
 
दास ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी रविवार, 16 नवंबर को वृंदावन चंद्रोदय मंदिर की आधारशिला रखेंगे। इस मौके पर राष्ट्रपति आधारशिला के नीचे भगवान अनंतशेषजी का स्थापना पूजन करेंगे। 
 
कार्यक्रम में उत्तरप्रदेश के राज्यपाल राम नायक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, क्षेत्र से लोकसभा सदस्य हेमा मालिनी और राज्यसभा सदस्य ऑस्कर फर्नांडीस सहित कई प्रमुख लोग मौजूद होंगे। 
 
उन्होंने बताया कि इस मंदिर को देश के सबसे बड़े, सर्वाधिक भव्य और सबसे ऊंचे धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। मंदिर का जमीन का हिस्सा करीब 5 एकड़ भूमि पर फैला होगा ताकि धार्मिक आयोजनों के समय मंदिर परिसर में धूमधाम और भारी भीड़ के साथ धार्मिक कार्य आयोजित किए जा सकें। प्रस्तावित मंदिर के निर्माण को इस्कॉन, बेंगलुरु के श्रद्धालुओं की कल्पना का परिणाम बताया जा रहा है।
 
इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रीमद् एसी भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद का कहना है कि इस मंदिर के बनने से भगवान की जीवनलीला के समय के वृंदावन का जैसा स्वरूप श्रद्धालुओं को देखने को मिलेगा। मंदिर परिसर साल के सभी दिनों धार्मिक गतिविधियों से जीवंत रहेगा। 
 
आचार्य श्रीमद् का कहना है कि इस पूरे क्षेत्र में ऐसा माहौल तैयार किया जाएगा, जैसा कि श्रीकृष्ण के साहित्य में पढ़ने को मिलता है। परिक्षेत्र में कृत्रिम झरने भी बनाए जाएंगे, जहां लोग नौका विहार का भी आनंद उठा सकेंगे। 
 
उन्होंने बताया कि मंदिर के भूतल से ही लिफ्ट की सेवा उपलब्ध रहेगी। लिफ्ट में ध्वनि और प्रकाश शो के जरिए वैदिक साहित्य में वर्णित ब्रह्मांड का भ्रमण कराया जाएगा और अंत में जब श्रद्धालु मंदिर के शीर्षस्थल पर इस लिफ्ट से पहुंचेगा तो उसे ब्रजमंडल के लुभावने दृश्यों के दर्शन के साथ ही ताज के दीदार भी हो सकेंगे। 

 
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