ताला के अलौकिक रुद्रशिव

आस्था का केंद्र बना प्राचीन ताला

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प्राचीन पुरातात्विक नगरी 'ताला' बिलासपुर से रायपुर दिशा की ओर करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार ताला में सन् 1947 में पंडित पूर्णानंद उड़ीसा से यहाँ पहुँचे और यही आकर बस गए। उन्होंने यहाँ ताला में पूजा-उपासना प्रारंभ कर दी।

उसी दौरान उनकी मुलाकात 84 गाँव के मालगुजार स्व. अकबर खान से हुई। पं. पूर्णानंद ने अकबर खान से तेरह एकड़ जमीन खरीदी। पं. पूर्णानंद की पूजा-अर्चना से प्रभावित होकर लोग उनसे मिलने पहुँचने लगे। धीरे- धीरे घने जंगल में लोगों की बसावट शुरू हो गई। उनकी प्रसिद्धि से 1957 से यहाँ मेले लगने शुरू हो गए। उस समय करीब बीस-पच्चीस गाँव से गिनती के लोग मेले में पहुँचते थे।

सन् 1984 में केंद्र सरकार के निर्देश पर मध्यप्रदेश शासन और अब छत्तीसगढ़ शासन के पुरातत्व विभाग ने यहाँ उत्खनन कार्य को जारी रखा। इसी दौरान लगभग छह टन की रूद्रशिव की अलौकिक मूर्ति मिली। ताला गाँव को 2003 में छत्तीसगढ़ शासन ने पर्यटन स्थल का रूप में मान्यता देने का निर्णय लिया।

लोगों की मान्यता : - दो रानियाँ जो आपस में देवरानी और जेठानी थी, उन्होंने इस स्थल को रमणीय और सुदंर बनवाया। सदियों पुरानी इस अलौकिक रूद्रशिव के बारे में जानने के बाद से भारत भर से लोग देखने पहुँचने लगे हैं। अभी दीपावली की छुट्टियों में सैकड़ों लोगों ने रूद्रशिव को निकट से देखा। यहाँ आने वालों के लिए देखने के लिए 'देवरानी-जेठानी मंदिर' के अतिरिक्त 'रूद्रशिव' की अलौकिक मूर्ति है।

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पुरा नगरी ताला के बारे में जानकारों की मानें तो प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा में यहाँ पर मेले का आयोजन किया जाता है। वहीं देशभर के तंत्र-मंत्र में साधना करने वाले भी यहाँ जुटते हैं। दक्षिण कपालिक क्रिया की साधना स्थली के बारे में ताला की विशेष मान्यता है। तंत्र-मंत्र से जुड़े लोग यहाँ आकर अपनी सिद्धि प्राप्त करते हैं।

ग्रामीणों के अनुसार पहले इसके बारे में बहुत लोग नहीं जानते थे, जब से लोग इस स्थल के बारे में जानने लगे हैं और प्रदेश में पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता मिल गई है। लोग रविवार के दिन या छुट्टियों में जरूर आते हैं। पहले आसपास के लोग ही आते थे पर अब देशभर के कोने-कोने से लोग बारह माह यहाँ आते हैं। पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता मिलने से लोगों के लिए क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। नवंबर- दिसंबर में तो नेशनल हाइवे के पास भोजपुरी मोड़ के पास जो ताला से करीब दस किलोमीटर पर स्थित है यहाँ पिकनिक मनाने वालों की भीड़ उमड़ती है।

मनियारी नदी के किनारे पर्यटकों के लिए प्रदेश शासन ने मोटल का निर्माण किया है। मोटल के कारण और यहाँ मिलने वाली सुविधाओं के कारण लोगों की पहली पसंद बनी हुई है। उल्लेखनीय है पर्यटन केंद्र के रूप में प्रदेश में ताला अपनी पहचान बनाने लगा है।

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