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भारत के 10 प्रसिद्ध जैन मंदिर, नए साल पर करें दर्शन

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, बुधवार, 28 दिसंबर 2022 (11:59 IST)
नया वर्ष 2023 प्रारंभ होने वाला है और यदि आप इस नववर्ष को बहुत ही शुभ बनाना चाहते हैं तो अपने क्षेत्र के जैन मंदिरों में जाकर ध्यान या प्रार्थना जरूर करें। यदि आप हमारे बताए देश के खास 10 मंदिरों में जाएंगे तो और भी बेहतर होगा। नये साल में 10 खास जैन मंदिरों में जाकर आप पूरे साल को शुभ बना सकते हैं।
 
श्री सम्मेद शिखरजी (गिरिडीह, झारखंड) : जैन धर्म में सम्मेद शिखरजी को सबसे बड़ा तीर्थस्थल माना जाता है। यह भारतीय राज्य झारखंड में गिरिडीह जिले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित एक पहाड़ पर स्थित है। इस पहाड़ को पार्श्वनाथ पर्वत कहा जाता है। 
 
अयोध्या के जैन मंदिर : अयोध्या में आदिनाथ के अलावा अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ का भी जन्म हुआ था इसलिए यह जैन धर्म के लिए बहुत ही पवित्र भूमि है। यहां सभी के मंदिर बने हुए हैं।
 
भगवान पार्श्वनाथ की जन्मभूमि वाराणसी : भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर हैं। उनका यहां पर एक प्राचीन मंदिर है। उनसे पूर्व श्रमण धर्म की धारा को आम जनता में पहचाना नहीं जाता था। पार्श्वनाथ से ही श्रमणों को पहचान मिली। पार्श्वनाथ ने चार गणों या संघों की स्थापना की। प्रत्येक गण एक गणधर के अंतर्गत कार्य करता था। ऐसा माना जाता है कि महात्मा बुद्ध के अधिकांश पूर्वज भी पार्श्वनाथ धर्म के अनुयायी थे।
 
तीर्थराज कुंडलपुर : कुंडलपुर बिहार के नालंदा जिले में स्थित है। यह स्थान पटना से यह 100 ‍किलोमीटर और बिहार शरीफ से मात्र 15 किलोमीटर दूर है। इस स्थान को जैन धर्म में कल्याणक क्षेत्र माना जाता है।
 
पावापुरी : पावापुरी वह स्थान है, जहां जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने 72 वर्ष की उम्र में 526 ईसा पूर्व निर्वाण प्राप्त किया था। यह स्थान बिहार में नालंदा जिले में स्थित है। इसके समीप ही राजगीर और बोधगया है। महावीर के निर्वाण का सूचक एक स्तूप अभी तक यहां खंडहर के रूप में स्थित है।
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गिरनार पर्वत : गिरनार पर्वत पर 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ ने कैवल्य ज्ञान (मोक्ष) प्राप्त किया था। यह सिद्धक्षेत्र माना जाता है। काठियावाड़ में जूनागढ़ स्टेशन से 4-5 मील की दूरी पर गिरिनार पर्वत की तलहटी है। पहाड़ पर 7,000 सीढ़ियां चढ़ने के बाद प्रभु के दर्शन होते हैं।
 
चंपापुरी जैन मंदिर : 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने चंपापुरी में मोक्ष प्राप्त किया था। वासुपूज्य स्वामी का जन्म चंपापुरी के इक्ष्वाकु वंश में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शतभिषा नक्षत्र में हुआ था।
 
श्रवणबेलगोला : यह प्राचीन तीर्थस्थल भारतीय राज्य कर्नाटक के मंड्या जिले में श्रवणबेलगोला के गोम्मटेश्वर स्थान पर स्थित है। यहां पर भगवान बाहुबली की विशालकाय प्रतिमा स्थापित है, जो पूर्णत: एक ही पत्थर से निर्मित है। बाहुबली को गोमटेश्वर भी कहा जाता था। बाहुबली ऋषभदेव के पुत्र और चक्रवर्ती राजा भरत के भाई थे। उन्होंने यहां मोक्ष प्राप्त किया था।
 
बावनगजा (चूलगिरि) : मध्यप्रदेश के बड़वानी शहर से 8 किमी दूर स्थित इस पवित्र स्थल में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेवजी (आदिनाथ) की 84 फुट ऊंची उत्तुंग प्रतिमा है। चूलगिरि से इंद्रजीत और कुंभकर्ण मुक्त हुए तथा गोपाचल से सुप्रतिष्ठित केवली मोक्ष गए हैं।
 
पालिताणा जैन तीर्थ : पालिताणा जैन मंदिर गुजरात के भावनगर से 51 किलोमीटर की दूरी पर शतरुंजया पहाड़ पर स्थित है। यहां शतरुंजया पहाड़ों की श्रृंखलाओं पर 900 से अधिक मंदिर स्थित हैं। यहां पर प्रमुख जैन मंदिरों में आदिनाथ, विमलशाह, सम्प्रतिराजा कुमारपाल, चौमुख आदि का नाम उल्लेखनीय है।

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