भारतीय राज्य उड़िसा के पुरी तट पर भगवान जगन्नाथ का भव्य और प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर राजा इंद्रद्युम्न ने बनवाया था। सैंकड़ों वर्षों तक यह मंदिर रेत में दबा रहा बाद में इसे वहां के राजा ने निकाला और फिर से वहां प्रभु नीलमाधव की पूजा अर्चना होने लगी। द्वारयुग में यहां पर श्रीहरि विष्णु की पूजा होती थी।
1. किंवदंतियों के अनुसार कहते हैं कि अज्ञातवास के दौरान द्रौपदी पांचों पांडव भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने गए थे।
2. प्रभु जगन्नाथ के मंदिर के अंदर पांडवों का स्थान अब भी मौजूद है।
3. ऐसा कहते हैं कि भगवान जगन्नाथ जब चंदन यात्रा करते हैं तो पांच पांडव उनके साथ नरेन्द्र सरोवर जाते हैं।
4. कहा जाता है कि उनका अज्ञातवास भगवान जगन्नाथ की कृपा से ही पूर्ण हुआ था।
5. आज भी श्रीमंदिर में 21 दिवसीय चंदन यात्रा का आयोजन होता है। ऐसे में श्रीमंदिर से 1 किमी. की दूरी पर मौजूद नरेन्द्र सरोवर तक यात्रा निकलती है।
6. चंदन यात्रा के दिन मणि विमान में भगवान के प्रतिनिधि मदन मोहन, भू देवी एवं श्रीदेवी तथा पालकी में रामकृष्ण विराजमान होकर श्रीमंदिर से 1 किमी. दूर स्थित नरेन्द्र सरोवर अर्थात चंदन तालाब में नौका विहार करते हैं।
7. इन देवी देवता अलावा अपने-अपने स्थान से अपने विमान में पंचपांडव (लोकनाथ, जम्बेश्वर, नीलकंठेश्वर, मार्केंडेश्वर, कपालमोचन) भी श्रीमंदिर पहुंचते हैं और फिर सब एक साथ चंदन सरोवर नौकाविहर करने जाते हैं और 21 दिन तक जलक्रीड़ा करते हैं।
8. जगन्नाथ मंदिर के उत्तर-पूर्व में स्थित, नरेंद्र सरोवर पुरी के पवित्र सरोवरों में सबसे बड़ा है। इसे श्री चंदन पुखुर भी कहा जाता है। किंवदंती है कि भगवान जगन्नाथ वार्षिक चंदन यात्रा के दौरान नौका लीला के लिए आते हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा के पहले चंदन यात्रा का आयोजन होता है।