Gyanvapi kua : शिव मंदिरों के पास आपको अक्सर कुआं, कुंड या कूप मिल जाएंगे, क्योंकि शौच, शुद्धि और आचमन ने साथ ही शिवजी पर जल अर्पित करने के लिए इसकी जरूरत होती है। बताया जा रहा है कि काशी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में ऐसा ही एक कुआं हैं। ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे यहां पर कूप और कृत्रिम तालाब मिला है।
हिन्दू दावे के अनुसार आज जहां ज्ञानवापी मस्जिद है वहां कभी शिवलिंग हुआ करता था और मस्जिद बाहर नंदी हैं तो मस्जिद की ओर मुख किए हुए हैं। ज्ञानवापी परिसर में ही मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान, आदि विश्वेश्वर, नंदीजी और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं। पहले इसे ज्ञानवापी मंडप कहते थे अब इस जगह को ज्ञानवापी मस्जिद कहते हैं। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहां विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई। वर्तमान में ज्ञानवापी मंडप पर मस्जिद बनी होने का दावा किया जाता है और विशालकाय नंदी उस मस्जिद की दीवार की ओर मुख करके आज भी परिसर में स्थित है।
कहते हैं कि यह कुंड या कुआं मस्जिद और वर्तमान मंदिर के बीच में स्थित है। कहते हैं कि काशी का केन्द्र है ज्ञानवापी कूप। मस्जिद और नए विश्वनाथ मंदिर के बीच 10 फीट गहरा कुआं है, जिसे ज्ञानवापी कहा जाता है। इसी कुएं के नाम पर मस्जिद का नाम पड़ा। यह भी कहा जाता है कि यहां पर जो मंडप था उसे ज्ञानवापी इसलिए कहते थे क्योंकि यहां पर एक संस्कृत पाठशाला का भी संचालन होता था।
ज्ञानवापी का अर्थ और रहस्य : स्कंद पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से ये कुआं बनाया था। कहते हैं कि कुएं का जल बहुत ही पवित्र है जिसे पीकर व्यक्ति ज्ञान को प्राप्त हो जाता है। ज्ञान यानी बोध होना और वापी यानी जल। ज्ञानवापी का अर्थ होता है ज्ञान+वापी यानी ज्ञान का तालाब। यह भी कहते हैं कि शिवजी ने यहीं अपनी पत्नी पार्वती को ज्ञान दिया था, इसलिए इस जगह का नाम ज्ञानवापी या ज्ञान का कुआं पड़ा। ज्ञानवापी का जल श्री काशी विश्वनाथ पर चढ़ाया जाता था।