इतिहास में वर्णित है कि वर्ष 1879 में अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया था। इस युद्ध का संचालन आगर मालवा की ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन को सौंपा गया था। मार्टिन युद्ध एवं स्वयं की कुशलता के समाचार आगर मालवा में छोड़ कर गए अपनी पत्नी को नियमित भेजते थे।
इस दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब मार्टिन के संदेश आना बंद हो गए। उनकी पत्नी को अनेक शंकाएं सताने लगी। वह एक दिन घोडे़ पर बैठ कर आगर मालवा में घूमने गई तो श्री बैजनाथ महादेव मंदिर से आती शंख ध्वनि और मंत्रों से आकर्षित होकर मंदिर पहुंची।
वहां मंदिर में पूजा-पाठ कर रहे पंडितों से चर्चा की एवं शिव पूजन के महत्व के बारे में पूछताछ की। पुजारी ने कहा भगवान शिव औघरदानी और भोलेभंडारी है। अपने भक्तों के संकट वह तुरंत ही दूर करते हैं।
पुजारी ने लेडी मार्टिन से पूछा- बेटी, तुम बडी चिंतातुर लग रही हो क्या कारण है?
लेडी मार्टिन बोली मेरे पति युद्ध में गए है और कई दिनों से उनका कोई समाचार नहीं आया इसलिए चिंतित हूं, इतना कहते हुए श्रीमती मार्टिन रो पडी़।
फिर ब्राह्मणों के कहने पर श्रीमती मार्टिन ने लघु रुद्री अनुष्ठान आरंभ करवाया तथा भगवान शिव से अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगी और संकल्प लिया कि उनके पति युद्ध जीत कर आ जाए तो वह मंदिर पर शिखर बनवाएगी। लघु रुद्री की पूर्णाहुति के दिन भागता हुआ एक संदेशवाहक शिव मंदिर पहुंचा। लेडी मार्टिन ने घबराते-घबराते लिफाफा खोला और पढ़ने लगी।