पटना की 'गोरगावा देवी'

देखिएगा आपकी मुरादें जरूर पूरी होंगी

Webdunia
PR
- अनिके त प्रियदर्श ी
हमारा देश भारत अपनी धार्मिक आस्था के लिए पूरे विश्व में अपना एक अलग स्थान रखता है। हम अपने साल भर के पूजा-पाठ में देखे तो हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। हमारे देश में माता के कई स्थान हैं, जहाँ साल भर भक्तों की बहुत बडी़ संख्या माता के दर्शन करने जाती है। वैष्णो देवी, विन्ध्यवासिनी देवी, मैहर की देवी, चामुंडा देवी तथा और भी कई ऐसे माता के स्थान है जहाँ भक्तगण बडी़ श्रद्धा से साल भर माता के चरणों में अपने शीश झुकाने जाते हैं। ये सभी माता की पीठ अपनी अद्भुत और अल ौक िक शक्तियों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हैं।

कहा जाता है और ऐसा देखा भी गया है की आप जो भी मन्नत या मुरादे माता के दरबार में लेकर जाते है उन सभी को माता अवश्य पूरा करती है। हमारे देश में माता की कई ऐसी जगह भी हैं, जिनकी अपनी अद्भुत और अलौकीक शक्ति बहुत ज्यादा है, पर बहुत से लोगों को इनके विषय में जानकारी नहीं हैं। ऐसे ही एक माता जी के विषय में आपको जानकारी दे रहे है, जो बहुत ही जागृत मानी जाती है। यहाँ जो भी मन्नत या मुराद माँगी जाती है माँ उसे जरूर पूरा करती है। इस माता रानी को 'गोरगावा की देवी' के नाम से जाना जाता है। गोरगावा का देवी मंदिर बहुत ही प्राचीन है तथा इनकी शक्ति एवं जागृत रूप के कई किस्से सुनने को मिलते हैं। वह माता पिंड के रूप में स्थित है।

कहा जाता है कि माता का यह पिंड धरती के गर्भ से अपने आप प्रकट हुआ है, ये इतनी प्राचीन है कि आज कोई भी इस घटना का सही समय बता पाने में असमर्थ है। माता का यह मन्दिर बिहार की राजधानी पटना से सटे खगौल नामक जगह पर स्थित है। साल भर यहाँ भक्तजन आते रहते हैं। माता के इस स्थान से कभी कोई खाली हाथ नहीं जाता है, ऐसी मान्यता है यहाँ की। यहाँ माता के मन्दिर में माता के साथ विभिन्न माई, भैरव बाबा, शीतला माता, विष्णु भगवान और लक्ष्मी माता की भी प्रतिमा स्थापित है।

PR
गोरगावा की देवी जी, पिंड के रूप में स्थित है, मन्दिर में सबसे पहले इनके पिंड की पूजा होती है। पूजा की सारी सामग्री मंदिर के पास ही मिल जाती है। पूजा आप खुद से कर सकते हैं या फिर मंदिर के पुजारी से भी पूजा करवा सकते है। वैसे तो आप नैव ेद् य में कुछ भी चढ़ा सकते हैं लेकिन देवी माँ को प्रसाद में बताशे चढ़ाने का खास महत्व है। और बताशे को ही मुख्य प्रसाद माना जाता है। इसके साथ ही मंदिर से बाहर आकर विघ्न माई की पूजा करना जरूरी माना जाता है।

विघ्न माई की पूजा के पीछे ऐसी मान्यता है कि आपके पूजा-पाठ में अगर किसी भी प्रकार से कोई विघ्न है, तो ये माता इसे जरूर दूर कर देती हैं। इन्हें भी जल से स्नान करवा कर फूल और बताशे चढ़ाए जाते है। विघ्न माई की पूजा के बिना यहाँ की सारी पूजा अधूरी मानी जाती है। उसके बाद ही भक्त विष्णु भगवान और लक्ष्मी माता की प्रतिमा की पूजा करते है।

PR
ऐसी मान्यता है की यहाँ पूजा करना सौभाग्य और समृद्धि बढा़ने वाला होता है। यहाँ पूजा में नैवेद्य चढ़ा कर धूप या दीप जला सकते है। यहाँ पूजा आपको खुद ही होती है, क्योंकि यहाँ की पूजा पुजारी नहीं करवाते है। उसके बाद नंदी बैल की मिट्‍टी की बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है।

महिलाएँ नंदी बैल की पूजा जल से स्नान करवा कर तथा सिन्दूर लगा कर करती है। फिर पास ही स्थित कुँए की पूजा की जाती है। कुँए पर धूप-दीप या अगरबत्ती जला कर रख दी जाती है, तथा सिन्दूर से टीका किया जाता है। इसके बाद मंदिर द्वार पर स्थित तुलसी की पूजा करने की प्रथा है। तुलसी पूजन के बाद मंदिर के अन्दर बने हवन कुंड में हवन करके संपूर्ण पूजा की समाप्ति मानी जाती है।

इस मंदिर में एक वृक्ष भी है जिसकी भी पूजा की जाती है, पर यहाँ की पूजा पुजारियों के द्वारा विशेष परिस्थितियों में की जाती है। साल भर यहाँ भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है, पर चैत्र माह, नवमी (रामनवमी) के दिन, यहाँ करीब 3 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु आते है। एक साथ इतने भक्तों की भीड़ यहाँ साल में एक ही दिन देखने को मिलती है। इस दिन यहाँ एक बहुत विशाल मेले का भी आयोजन होता है। इस दिन काफी दूर-दूर से लोग माता के दर्शन करने यहाँ आते है। ऐसा माना जाता है की इस दिन यहाँ के दर्शन करने का और पूजा करने का फल माता अपने भक्तों को तुरंत देती है।

PR
इतनी प्राचीन और इतनी बड़ी शक्ति पीठ की जानकारी अभी भी भारत के कई भागों में लोगों को नहीं है। यह स्थान शक्ति का बड़ा जीवंत रूप है। आप कोई भी मुराद लेकर माँ के दरबार में आए माँ आपकी मुराद जरूर पूरी करती हैं। बिहार सरकार को चाहिए कि वे इतने बड़े सिद्ध पीठ के संरक्षण के प्रति उदासीन रवैया छोड़कर इसके रखरखाव की ओर ध्यान दें। अगर इस स्थान का सही तरीके से प्रचार हुआ तो यकीन मानिए भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में यहाँ का भी नाम होगा।

भारत में आप कहीं भी रहते हो यहाँ आने में कोई परेशानी नहीं है, आप पटना रेल या हवाई जहाज से आ सकते है। पटना के बाद मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर वह मंदिर स्थित है। कभी आपकी कोई मुराद हो तो उसे लेकर माता के दरबार में आइए, देखिएगा आपकी मुरादें जरूर पूरी होंगी।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

इस मंदिर में है रहस्यमयी शिवलिंग, दिन में तीन बार बदलता है रंग, वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए हैं रहस्य

कुंभ राशि में अस्त हो रहे हैं शनि, इन 5 राशि वाले जातकों की बढ़ेंगी मुश्किलें

क्या होगा अरविंद केजरीवाल का राजनैतिक भविष्य? क्या कहते हैं उनकी कुंडली के सितारे?

होली पर चंद्र ग्रहण से किन 3 राशियों पर होगा इसका नकारात्मक प्रभाव?

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें, रह जाएंगे भोलेनाथ की कृपा से वंचित

सभी देखें

धर्म संसार

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या है अंतर?

ब्रज की होली के 5 सबसे लोकप्रिय गीत

जानकी जयंती 2025: माता सीता का जन्म कब और कैसे हुआ था?

Mahashivratri 2025: कैसे करें महाशिवरात्रि का व्रत?

Aaj Ka Rashifal: इन 5 राशियों को मिलेगा आज कारोबार में अपार धनलाभ, पढ़ें 17 फरवरी का दैनिक भविष्यफल