कहते हैं कि प्रभु श्रीराम ने आश्विन माह की दशमी के दिन रावण का वध कर दिया था। रावण बहुत ही शक्तिशाली था और यदि विभीषण, हनुमान और जामवंत जैसे योद्धा नहीं होते तो संभवत: श्रीराम को रावण का वध करने में और भी ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता। श्रीराम और रावण का युद्ध क दिनों तक चला और अंत में रावण का वध हुआ परंतु यदि श्रीराम रावण का वध नहीं कर पाते तो क्या होता?
जनश्रुति के आधार पर ऐसे कहा जाता है कि अगर रावण का वध भगवान राम ने नहीं किया होता तो सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो जाता। रावण को मारने के लिए श्रीराम ने सर्वप्रथम को माता कात्यायिनी की पूजा की थी जिन्होंने रावण की लंका की सुरक्षा कर रखी थी। फिर उन्होंने हनुमानजी की मदद से जहां एक और लंका के राज जाने और विभीषण को राम की सेना में शामिल किया वहीं उन्होंने विभीषण द्वारा रावण की मृत्यु का भेद भी जाना।
विभीषण का एक गुप्तचर था, जिसका नाम 'अनल' था। उसने पक्षी का रूप धारण कर लंका जाकर रावण की रक्षा व्यवस्था तथा सैन्य शक्ति का पता लगाया और इसकी सूचना भगवान श्रीराम को दी थी। विभिषण ने ही राम को कुंभकर्ण, मेघनाद और रावण की मृत्यु का रहस्य बताया था। अंत में श्रीराम ने दशमी के दिन अपने धनुष कोदंड से रावण का वध कर दिया था।