चोरों ने एक घर में सेंध लगाई और तुलसीदास जी से कहा- 'यहीं बाहर खड़े रहो। अगर कोई दिखाई दे, तो हमें खबर कर देना।'
चोर अंदर गए ही थे कि गोसाईंजी ने अपनी झोली से शंख निकाला और उसे बजाना शुरू कर दिया। चोरों ने आवाज सुनी, तो डर गए और बाहर आकर देखा, तो तुलसीदासजी के हाथ में शंख दिखाई दिया।