बादशाह कैसे? - स्वामी रामतीर्थ

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- नितेश नागोता

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स्वामी रामतीर्थ अमेरिका में थे। एक बार उनके पास अमेरिका के एक धनपति पहुंचे।

उन्होंने स्वामीजी से यह जिज्ञासा प्रस्तुत की- 'आप अपने आपको बादशाह कहते हैं। हमें समझ नहीं आया कि आपके पास कुछ भी संपत्ति नहीं है। न मकान है और न अन्य वैभव है तथापि आप अपने आपको बादशाह कैसे कहते हैं?'


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रामतीर्थ ने कहा- 'मेरे पास कुछ भी नहीं है इसलिए बादशाह हूं। जो व्यक्ति गरीब होता है वह व्यक्ति बटोरता है। मैं गरीब नहीं हूं।

जो गरीब होता है उसकी तृष्णाएं दिन दूनी और रात चौगुनी बढ़ती हैं। वह संसार के पदार्थों को बटोरता है। पर मैं गरीब नहीं हूं इसलिए बटोरता नहीं हूं इसलिए मैं सच्चा बादशाह हूं। मेरे पास कुछ भी नहीं है इसीलिए बादशाह हूं। तुम बटोरते रहते हो। तुम्हारी तृष्णा निरंतर बढ़ती है इसलिए तुम बादशाह नहीं हो।'

स्वामी रामतीर्थ की बात अमेरिका के धनपति के हृदय मैं पैठ गई। उसके पास इसका उत्तर नहीं था। वह सोचने लगा कि धन्य है भारत भूमि जिसने त्याग को महत्व दिया। जो इच्‍छाओं का दास है वह सम्राट कैसे बन सकता है?

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