सिंघापुर की अनोखी परंपरा

Webdunia
अनेकता में एकता की मिसाल भारतीय संस्कृति में कदम-कदम पर नजर आती है। यही कारण है कि उड़ीसा राज्य के सिंघापुर नामक स्थान पर ऐसी ही एक निराली परंपरा देखने को मिलती है। यहाँ एक ऐसा त्योहार मनाने का रिवाज है, जिसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा को तालाब से निकालकर, उसकी यात्रा निकाली जाती है और पुनः उसे विसर्जित कर दिया जाता है।

प्रत्येक वर्ष इसी तरह भगवान विष्णु की प्रतिमा को सिंघापुर तालाब से निकालकर उसे नगर में घुमाया जाता है, जो ‘सिंघापुर यात्र ा ’ के नाम से प्रचलित है। हर साल यह अप्रैल महीने में ही पणसँक्रान्ति त्योहार के दौरान मनाया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि 16वीं सदी में एक राजा द्वारा भगवान विष्णु की प्रतिमा को मुस्लिम आक्रमणकारियों से बचाने के लिए तालाब में डाल दिया गया था। कुछ वर्षों पश्चात उसी राजा को स्वप्न में भगवान विष्णु के दर्शन हुए और उन्होंने उस प्रतिमा को तालाब से निकलवाकर उसकी पूजा करने का आदेश दिया और राजा ने उसका अनुसरण किया।

तब से यह परंपरा चल पड़ी, जिसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा को तालाब से निकालकर एक हफ्ते तक उसकी पूजा-अर्चना की जाती है और त्योहार के अंतिम दिन पुनः उसे तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है। (ए.एन.आई)

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

19 मई 2024 : आपका जन्मदिन

19 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

Narasimha jayanti 2024: भगवान नरसिंह जयन्ती पर जानें पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Vaishakha Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा के दिन करें ये 5 अचूक उपाय, धन की होगी वर्षा