देशभक्ति‍ व करि‍यर दोनों हैं अहम्

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26 जनवरी को पूरा देश 'गणतंत्र दिवस' मनाएगा। यह जश्न है एकता, समानता और स्वतंत्रता का। उन शहीदों को इस पर्व के माध्यम से नमन करने का जिनकी वजह से हमें खुलकर जीने की आजादी मिली। साथ ही सलाम उन जवानों को जो सीमा पर जागते हैं ताकि हम चैन की नींद सो सकें।

यह जज्बा धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। इसका कारण युवाओं की लाइफस्टाइल में आया बदलाव भी है। ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में आज का युवा देशभक्ति से ज्यादा पैसे की ओर रुख कर रहा है। युवा देश के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं, इसलिए उनकी एक राय यह भी है कि आर्मी के अलावा भी किसी फील्ड में रहते हुए देश के विकास में अहम योगदान दे सकते हैं, बशर्ते कि वे अपने फील्ड में ईमानदारी से काम करें।

देशभक्ति पर करियर भारी

यश जोशी कहते हैं कि इंडियन आर्मी यानी बेहतर करियर, अनुशासन के साथ सम्मान की जिंदगी। लेकिन आज प्रोफेशनल कोर्सेस के आने के बाद स्टूडेंट को लगता है कि आर्मी में करियर बनाना आसान नहीं है, क्योंकि टफ ट्रेनिंग और घर से दूर जाना उन्हें कम ही रास आता है। वे देशभक्ति की जगह मोटी कमाई को तवज्जो दे रहे हैं। जिन युवाओं में आर्मी के जुनून और देश के लिए कुछ करने का जज्बा होता है जब वे घरवालों से यह बात कहते हैं तो उनके घरवाले चाहते हैं कि वे आर्मी की बजाय दूसरे फील्ड में करियर बनाएँ।

ईमानदारी से कार्य करने की है जरूरत

एमएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की स्टूडेंट राधिका राघव कहती हैं- आजकल युवा सेना में नहीं जाना चाहते हैं हालाँकि देशभक्ति का यह पैमाना कतई नहीं है कि हर व्यक्ति सेना में जाए। देश की सेवा किसी भी रूप में हो सकती है जिसके लिए हमें अपनी फील्ड में ईमानदारी से कार्य करने की जरूरत है। युवा के लिए वास्तव में नाम व पैसे के साथ-साथ समाज व देश के प्रति कुछ कर पा लेने की संतुष्टि और गर्व होना भी जरूरी है।

आज भी है जुनून

आईआईपीएस के स्टूडेंट शुभम शर्मा कहते हैं कि युवाओं में एक बात यह है कि वे खुद की मर्जी के मालिक कुछ ज्यादा ही होते हैं। इसका कारण हमारी लाइफ स्टाइल में आया बदलाव भी है। आज करना है तो बस करना है कि तर्ज पर जिंदगी जीने वाले युवा कहीं भी फोकस नहीं कर पाते या फिर असमंजस की स्थिति में पड़ जाते हैं इसलिए वे जीवन में देशभक्ति व करियर में से किसी एक का चुनाव नहीं कर पाते हैं। वहीं दूसरी ओर आज भी युवा तिरंगे को देखकर रोमांचित होता है। जन-गण-मन सुनकर एक बार सावधान की मुद्रा में खड़ा होने को तैयार रहता है। लेकिन उसे लगता है कि साथ देने वाला कोई नहीं है तो मन मारकर वह देशभक्ति करने से रह जाता है।

करियर भी देशसेवा भी

ईएमआरसी की स्टूडेंट कृणिका सक्सेना कहती हैं कि आज भगतसिंह पैदा नहीं हो सकते लेकिन व्हाइट कॉलर लोगों के भरोसे भी यह देश नहीं चलना है। करियर बनाने के बाद भी हर युवा को देश की सेवा व देश में रहना कम पसंद आता है। इसके लिए युवा जिम्मेदार नहीं हैं। इसका कारण भ्रष्टाचार भी है। लेकिन कई युवा इस दौर में भी अपनी पसंद के करियर के साथ भी देशसेवा कर रहे हैं। वे जता रहे हैं कि देशसेवा भी उनके लिए महत्वपूर्ण है।

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