Republic day 2024 : क्यों जरूरत है गणतंत्र की?

WD Feature Desk
Republic day 2024
Republic day 2024: गणतंत्र, लोकतंत्र या जनतंत्र सभी का मतलब होता है लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन। मतलब यह कि जनता द्वारा स्थापित शासन जो जनता के मूल अधिकारों की रक्षा करे। क्या है मूल अधिकार? आओ जानते हैं कि कोई गणतंत्र कब सफल गणतंत्र कहलाता है। लोकतंत्र वेदों की देन है। गणतंत्र शब्द का प्रयोग ऋग्वेद में चालीस बार, अथर्व वेद में 9 बार और ब्राह्माण ग्रंथों में अनेक बार किया गया है, लेकिन वर्तमान में भारत में जो गणतंत्र है उसका बने रहना बहुत जरूरी है।  
 
क्यों जरूरत है गणतंत्र की:-
  1. हमें विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने का गर्व है। 
  2. हमारा लोकतंत्र धीरे-धीरे परिपक्व हो रहा है। हम पहले से कहीं ज्यादा समझदार होते जा रहे हैं। 
  3. धीरे-धीरे हमें लोकतंत्र की अहमियत समझ में आने लगी है। 
  4. सिर्फ लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही व्यक्ति खुलकर जी सकता है। 
  5. स्वयं के व्यक्तित्व का विकास कर सकता है और अपनी सभी महत्वाकांक्षाएं पूरी कर सकता है। 
  6. हर देश का संविधान अलग है, लेकिन किसी का राजशाही, किसी का लोकशाही, किसी का तानाशाही, किसी का साम्यवादी और किसी का धर्मिक कानून।
  7. सभी के पक्षधर आपको मिल जाएंगे, परंतु इनमें से सिर्फ लोकशाही एक ऐसा तंत्र है जहां व्यक्ति खुली सांस ले सकता है।
  8. दुनिया में राजशाही, तानाशाही, साम्यवाद, सभी को असफल होते हुए देखा है परंतु लोकतंत्र का असफल होना सबसे ज्यादा घातक सिद्धि होता है क्योंकि इसके बाद अराजकता का लंबा दौर चलता है। इसलिए जरूरत है हमें लोकतंत्र की।

फ्रीडम ऑफ स्पीच अर्थात अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग की दुहाई देकर मीडिया या सोशल मीडिया को आजकल बहुत भला-बुरा कहा जाने लगा है। हालांकि यह कुछ हद तक सही भी है। इसे रोके जाने के उपाय ढूंढना चाहिए ना कि यह कहें कि सभी से बोलने की स्वतंत्रता छीन ली जाए। बहुत से लोग मानने लगे होंगे कि फ्रीडम ऑफ स्पीच की सीमाएं होना चाहिए या यह कि यह नहीं होना चाहिए। कई लोग प्रेस पर लगाम लगाने की बात भी करते हैं और कई लोग मानते हैं कि सोशल मीडिया पर बैन लगाया जाना चाहिए।
 
एक दौर था जबकि ईसाई जगत में कट्टरता फैली हुई थी। उस दौर में सबकुछ चर्च ही तय करता था। उस दौर में कोई भी व्यक्ति चर्च या राज्य के खिलाफ सच या झूठ बोलने की हिम्मत नहीं कर सकता था। परंतु इस फ्रीडम ऑफ स्पीच के लिए कई लोगों को बलिदान देना पड़ा और तब जाकर ईसाई जगत को समझ में आया कि व्यक्तिगत स्वतं‍त्रता, मानवाधिकार और मनुष्‍य के विचार की रक्षा कितनी जरूरी है। उन्होंने धर्म से ज्यादा मानवाधिकार और लोकतंत्र को महत्व दिया। इसीलिए कोई सा भी तंत्र नहीं में गणतंत्र ही चाहिए। वोट तंत्र वाला नहीं गुणतंत्र वाला।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर क्यों है भारत? क्या मोदी-ट्रंप की दोस्ती का वक्त पूरा हो गया है?

डोनाल्ड ट्रंप को करना पड़ सकती है PM मोदी से बात, क्यों बोले अमेरिकी विशेषज्ञ

शशि थरूर ने फिर कही कांग्रेस को चुभने वाली बात, डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ को लेकर क्या बोले

देश में मानसून ने पकड़ी रफ्तार, दूसरे चरण में कितनी होगी बारिश, IMD ने जताया यह अनुमान

मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बरी होने पर रोई उमा भारती, कहा दिग्विजय ने रची भगवा आतंकवाद की झूठी थ्योरी

सभी देखें

नवीनतम

इमरान खान को बड़ा झटका, PTI के सांसदों समेत 166 नेताओं को कोर्ट ने सुनाई सजा

उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर आया बड़ा अपडेट, भारत निर्वाचन आयोग ने क्या कहा

'रमी गेम' विवाद के बाद फडणवीस सरकार का बड़ा एक्‍शन, मंत्री माणिकराव कोकाटे से छीना कृषि विभाग

Malegaon blast case : मोहन भागवत को लेकर मालेगांव ब्लास्ट केस के तत्कालीन ATS अधिकारी महबूब मुजावर का बड़ा खुलासा

2020 से अब तक कितने विदेशियों को जारी किए ई-वीजा, सरकार ने संसद में दिया यह जवाब

अगला लेख