'रियो' में बैडमिंटन में टूटी चीन की दीवार, यूरोप का पुनर्जन्म

Webdunia
सोमवार, 22 अगस्त 2016 (19:49 IST)
रियो डि जेनेरियो। रियो ओलंपिक की बैडमिंटन प्रतियोगिता में इस बार का प्रदर्शन सबसे अलग रहा क्योंकि जहां एक तरफ इस बार चीन की दीवार टूट गई, वहीं दूसरी तरफ स्पेन की कैरोलिना मारिन के महिला स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने को बैडमिंटन में यूरोप के पुनर्जन्म के तौर पर देखा जा रहा है। 
        
रियो ओलंपिक के महिला एकल में स्पेन की कैरोलिना मारिन ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया और 20 साल के लंबे अंतराल के बाद किसी यूरोपीय देश को स्वर्ण पदक दिलाया। उनके इस प्रदर्शन से बैडमिंटन में यूरोप का पुनर्जन्म माना जा रहा है। 
      
बैडमिंटन स्पर्धा का रजत पदक भारत की पीवी सिंधू ने जीता। बैडमिंटन स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाली सिंधू पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। सिंधू रियो में रजत पदक जीतने के साथ ही ओलंपिक खेलों में सबसे कम उम्र की पदक विजेता भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं।  
          
लंदन ओलंपिक के बैडमिंटन स्पर्धा में पूरी तरह से चीन का दबदबा देखने को मिला था और चीन ने लंदन में सभी पांच स्वर्ण पदकों पर हाथ साफ किया था, लेकिन इस बार उसे दो स्वर्ण पदक से ही संतोष करना पड़ा।
     
चीन के शीर्ष बैडमिंटन स्टार और गत दो बार के चैंपियन लिन डैन इस बार कांस्य पदक भी हासिल नहीं कर सके। हालांकि चीन को चेन लोंग ने विश्व के नंबर एक खिलाड़ी मलेशिया के ली चोंग वेई को हराकर पुरुष एकल वर्ग का स्वर्ण पदक दिलाया, वहीं पुरुष युगल में चीन की जोड़ी फू हेइफेंग तथा झांग नान ने कड़े संघर्ष में मलेशियाई जोड़ी गोह वी शेम तथा टान वी कियोंग को हराकर स्वर्ण पदक जीता। 
     
रियो में बैडमिंटन में चीन का वर्चस्व जिस प्रकार टूटा उसे देखते हुए चीन को 2020 के टोक्यो ओलंपिक में वापसी करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। (वार्ता)  
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