इश्क के कुछ उसूल थे पहले

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सूर्यभानु गुप्त

दिल लगाने की भूल थे पहले।
अब जो पत्थर हैं फूल थे पहले।

तुझसे मिलकर हुए हैं कारआमद1
चाँद-तारे फुजूल थे पहले

लोग गिरते नहीं थे नजरों से,
इश्क के कुछ उसूल थे पहले।

झूठे इल्जाम मान लेते थे,
हाय! कैसे रसूल थे पहले।

अन्नदाता हैं अब गुलाबों के
जितने सूखे बबूल थे पहले।

जिनके नामों पे आज रहते हैं,
वे ही रास्तों की धूल थे पहले।

कारआमद = उपयोगी
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