उन दिनों : तीन प्रेम कविताएँ

Webdunia
एक
दो साइकिलें साथ-साथ
घरों से निकलती थीं

दो रास्ते आगे
एक हो जाते थे

दो कुर्सियाँ हमेशा
सटकर बैठती थीं
दो प्यालियाँ अक्सर
बदल जाती थीं
उन दिनों
पास-पास लिखे जाते थे
दो नाम
साथ-साथ लिए जाते थे
दो नाम

दो
कुछ चुनी हुई किताबें थीं
अ जिन्हें पढ़ना चाहता था

कुछ ऐसे गीत थे अ जिन्हें
फुर्सत में सुनना चाहता था
चित्रों के बारे में तब भी
अ को विशेष जानकारी न थी
एक खास रंग था अ जिस पर
अपनी जान छिड़कता था

मगर उन दिनों
इ जो भी पसंद करती थी
वह अ को भी पसंद आता था

तीन
सही समय पर वाचनालय
बंद होना खलता था
कैंटीन का खचाखच
भर जाना अखरता था

मनपसंद जगह किसी का
बैठे मिलना चिढ़ाता था

सिनेमाघर में परिचित का
देख लेना डराता था

उन दिनों भाता नहीं था

छुट्टी का दिन, रविवार
कॉलेज खुलने का इंतजार

- पव न करण
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पीसफुल लाइफ जीना चाहते हैं तो दिमाग को शांत रखने से करें शुरुआत, रोज अपनाएं ये 6 सबसे इजी आदतें

हवाई जहाज के इंजन में क्यों डाला जाता है जिंदा मुर्गा? जानिए क्या होता है चिकन गन टेस्ट

स्टडी : नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं को अस्थमा का खतरा ज्यादा, जानिए 5 कारण

हार्ट हेल्थ से जुड़े ये 5 आम मिथक अभी जान लें, वरना पछताएंगे

बारिश के मौसम में मच्छरों से होने वाली बीमारियों से कैसे बचें? जानिए 5 जरूरी टिप्स

सभी देखें

नवीनतम

दिल की बीमारी से बचाव के लिए जरूरी हैं ये 6 एक्सरसाइज, जानिए कैसे रखें अपना दिल तंदुरुस्त

गोलाकार ही क्यों होती हैं Airplane की खिड़कियां? दिलचस्प है इसका साइंस

इन 7 लोगों को नहीं खाना चाहिए अचार, जानिए कारण

हिन्दी कविता : योग, जीवन का संगीत

योग को लोक से जोड़ने का श्रेय गुरु गोरखनाथ को