और तुम वहाँ रुकी मिलो

Webdunia
पल्लव

एक बार फिर

काश, एक बार फिर

मैं निकलूँ उस मोड़ पर

और तुम वहाँ रुकी मिलो

करती हुई इंतजार।

मैं नहीं जानता

कि वह कौन है

जिसकी तुम्हें प्रतीक्षा है।

मैं देखूँ तुम्हें क्षणभर

अपलक, अकिंचन

और वहाँ से चला जाऊँ

काश, एक बार फिर।
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