कहने को कह रहे थे

Webdunia
बशीर बद् र

अपनी जगह जमे हैं, कहने को कह रहे थे
सब लोग वरना बहते दर्या में बह रहे थे

ऐसा लगा कि हम-तुम कोहरे में चल रहे हों
दो फूल ऊँची-नीची लहरों पे बह रहे थे

दिल उजले पाक फूलों से भर दिया था किसने
उस दिन हमारी आँखों से अश्क बह रहे थे

अकसर शराब पीकर पढ़ती थी वो दुआएँ
हम एक ऐसी लड़की के साथ रह रहे थे

अख़बार में तो ऐसी कोई ख़बर नहीं थी
जलते मकान झूठे अफसाने कह रहे थे
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

चिंता करने का भी तय करें टाइम, एंजाइटी होगी मिनटों में दूर

आपकी रोज की ये 5 हैबिट्स कम कर सकती हैं हार्ट अटैक का रिस्क, जानिए इनके बारे में

कमजोर आंखों के लिए आज से शुरू कर दें इन योगासनों का अभ्यास

पीसफुल लाइफ जीना चाहते हैं तो दिमाग को शांत रखने से करें शुरुआत, रोज अपनाएं ये 6 सबसे इजी आदतें

हवाई जहाज के इंजन में क्यों डाला जाता है जिंदा मुर्गा? जानिए क्या होता है चिकन गन टेस्ट

सभी देखें

नवीनतम

गोलाकार ही क्यों होती हैं Airplane की खिड़कियां? दिलचस्प है इसका साइंस

इन 7 लोगों को नहीं खाना चाहिए अचार, जानिए कारण

हिन्दी कविता : योग, जीवन का संगीत

योग को लोक से जोड़ने का श्रेय गुरु गोरखनाथ को

क्या सच में छींकते समय रुक जाती है दिल की धड़कन?