चाँद प्यासा इक तरफ

Webdunia
विलास पंडित 'मुसाफिर'

ND
ND
चाँदनी है इक तरफ और चाँद प्यासा इक तरफ
इक तरफ मजबूरियाँ हैं और नशा सा इक तरफ।।

आईना-दर-आईना चेहरे बदलते हैं यहाँ
हर तरफ रोशन है दुनिया, मैं बुझा सा इक तरफ।।

देखिए तो आदमी की हर अदा को गौर से
ज़हर सा तो इक तरफ है और दवा सा इक तरफ।।

दो जवाँ हमउम्र साथी और नसीबों का चलन
इक तरफ आजादियाँ हैं दायरा सा इक तरफ।।

सिर्फ इक दीवार का ही फासला तो है मगर
एक जानिब हर खुशी है, ज़लज़ला सा इक तरफ।।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

युद्ध के संबंध में क्या कहती है चाणक्य नीति?

बच्चों की कोमल त्वचा पर भूलकर भी न लगाएं ये प्रोडक्ट्स, हो सकता है इन्फेक्शन

वास्तु के अनुसार कैसे प्राप्त कर सकते हैं नौकरी

पाकिस्तान से युद्ध क्यों है जरूरी, जानिए 5 चौंकाने वाले कारण

घर की लाड़ली को दीजिए श अक्षर से शुरू होने वाले ये पारंपरिक नाम

सभी देखें

नवीनतम

पहलगाम अटैक के बाद क्‍यों हो रही है फिल्‍म The Social Dilemma की चर्चा?

इंदौर में स्वस्थ जीवनशैली और लंबी उम्र के लिए जागरूकता कार्यक्रम, "लिव लॉन्ग, लिव स्ट्रॉन्ग"

भारत-पाक युद्द हुआ तो इस्लामिक देश किसका साथ देंगे?

गर्मियों में इन हर्बल प्रोडक्ट्स से मिलेगी सनबर्न से तुरंत राहत

जल की शीतलता से प्रभावित हैं बिटिया के ये नाम, एक से बढ़ कर एक हैं अर्थ