तुम्हारे साथ का अमलतास

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- फाल्गुनी

रोज सिंदूरी शाम की
सुकोमल हवा
यादों की एक
प्रेम-मंजूषा
मेरी मन-चौखट पर
रख जाती है
और रोज
उसे मैं बिना खोले
लौटा देती हूँ।
जानती हूँ कि
रात को मेरे
दिल की दहलीज पर
कोई
खूब देर तक
रोता रहेगा।
और तुम्हारे साथ का
अमलतास
चुपचाप झरता रहेगा।
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