तेरा इंतजार कर रहा हूँ

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विजय कुमार सप्पत्ती

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कोई जिंदगी की एक खामोश पहर थी
जब; मैं तेरे आगोश में खुद को खो बैठा था!!!

आसमान से कोई एक हाथ
जमीन पर उतर कर तुम्हारे माथे
पर मेरा नाम लिख गया

सपनों की साँसें तेरा नाम लेकर धड़कती रही
चाँदनी रात भर शबनम की बूँदें
तेरे लबों पर छिड़कती रही

कोई टूटे हुए तारों के संग तेरा नाम लेता रहा ..
मैं तुझे, बस तुझे देखता रहा...

यूँ ही.. मैं अब अपने मन के शहर में
तेरा इंतजार कर रहा हूँ ..

तुम कब आओगी जानां !!!
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