प्रेम गीत : मुझे जिंदगी में दगा तो न दोगे

राकेशधर द्विवेदी
मुझे जिंदगी में दगा तो न दोगे,
मेरी वफाओं को तुम सिला तो न दोगे।


 
मुहब्बत की जो कस्में खाई थीं तुमने,
उन कस्मों को निभा तो दोगे।
 
बहुत ख्वाब मुझको दिखाए हैं तुमने,
उन ख्वाबों को तुम पूरा तो करोगे।
 
मुझे अपने शहर का पता तो दे दोगे,
तुम मेरे खतों को जला तो न दोगे।
 
सपने जो अब तक देखे तुम्हारे,
उन सपनों को गिला तो न दोगे।
 
बहुत हंस रही हूं तुम्हें साथ में देख,
तुम मुझे आगे रुला तो न दोगे।
 
वादे जो किए हैं तुमने हमसे,
उन वादों को तुम निभा तो दोगे।
 
मुझे जिंदगी में दगा तो न दोगे,
मेरी वफाओं को तुम सिला तो न दोगे।
 
 
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