प्रेम में बंधन नहीं है

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हरीश कुमार अरोड़ा

प्रेम में बंधन नहीं है
तुम उसे अहसास के,
नन्हें सजीले
पंख देकर मुक्त कर दो।
वह उड़ेगा,
क्षण भर उड़ेगा
और फिर से लौटकर
स्नेह के बंधन तुम्हारे,
चूम लेगा।
देह के लघु खंड तो,
क्षण की शिला हैं,
छू नहीं सकते, स्थिर हैं,
वे तुम्हारे प्रेम की नवसर्जना में
गदगद करेंगे,
मूक अभिनंदन करेंगे।
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