यादों की कोमल तितली

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फाल्गुनी 
 
बस, एक लम्हे के लिए 
दिखता है तुम्हारा चेहरा
और मेरी आँखों की झील में 
देर तक थरथराता है 
मुस्कुराता चाँद। 
 
बस, एक कोई बात 
तुम कहते हो यूँ ही 
और देर तक 
मेरे मन के आँगन में 
खेलती है तुम्हारी 
यादों की कोमल तितली।
 
बस, एक हल्का-सा स्पर्श 
हो जाता है तुमसे 
चलते-चलते और 
देर तक गुलाब खिलता है 
मेरे दिल की स्निग्ध क्यारी में। 
 
बस, एक नजर तुम्हारी 
मिलती है मेरी नजर से 
और देर तक 
मेरी देह के सितार में 
तरंगित होती है 
तुम्हारे प्यार की रागिनी। 
 
बस, एक हँसी तुम्हारी 
खिल उठती है होठों पर 
और देर तक ठहरी रहती है 
मेरे गालों पर गुलाल की
एक नाजुक परत। 
 
बस, एक रूठना तुम्हारा 
छोड़ कर चल देना बेसहारा 
देर तक भटकाता है मुझे 
मेरी ही आत्मा की 
अँधेरी कँदराओं में 
और मैं तलाशती हूँ 
तुमको, तुम्हारी ही स्मृति में।
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