जब खिला चंद्रमा रात हो, पहली-पहली मुलाकात हो

शम्भू नाथ
जब खिला चंद्रमा रात हो,
पहली-पहली मुलाकात हो।
 
प्यारे तारों का साथ हो,
संग प्रियतम का हाथ हो।
 
तब नदिया कल-कल बोलेगी,
मस्त पवन भी डोलेगी।
 
बन में मोर भी नाचेगा,
पायल का घुंघरू बाजेगा।
 
ऐसी सजी वह रात हो,
जब साजन का साथ हो।
 
जब खिला चंद्रमा रात हो,
पहली-पहली मुलाकात हो।
 
वन उपवन सज जाएंगे,
भौंरे कलियों पर आएंगे।
 
प्रेमगीत भी गाएंगे,
अपनी बात बताएंगे।
 
तब चेहरे पर साज हो...
 
जब खिला चंद्रमा रात हो,
पहली-पहली मुलाकात हो।
 
मन चंचल होके डोलेगा,
प्रिये से प्रेमी बोलेगा।
 
छुपे राज को खोलेगा,
कानों में मिठास तो घोलेगा।
 
होठों पर मुस्कान हो...
 
जब खिला चंद्रमा रात हो,
पहली-पहली मुलाकात हो।

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