प्रेम कविता : आपकी खामोशियां...

राकेशधर द्विवेदी
बहुत कुछ हमसे कह गई 
आपकी खामोशियां...
दिल में आकर उतर गई
आपकी खामोशियां...
बहुत कुछ हमसे कह गई... 
 

 
नजरें मिलाना फिर मुस्कुराना 
धीरे से पलकों को नीचे झुकाना 
ये फिर से लाई है बहुत कुछ 
मेरी जिंदगी में नजदीकियां 
बहुत कुछ हमसे कह गई 
आपकी खामोशियां...
 
रह गई है याद तेरी 
और कुछ बाकी न ही
रात भर है करवट बदलते
नींद है आती न ही 
इस कदर हमको रुलाती 
आपकी खामोशियां...
 
दिल में उतरकर गीत सुनाती
आपकी खामोशियां...
हौले से कुछ है समझाती 
आपकी खामोशियां...
 
सपने में भी बस ये जाती 
आपकी खामोशियां...
फूल-सी है मुस्कराती 
आपकी खामोशियां...। 

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