हिन्दी कविता : एक मंदिर हो तुम...

एमके सांघी
एक मंदिर हो तुम
प्रेम का देवता खुश हुआ तो,
मेरी जिंदगी में तुम आ गए, आ गए, आ गए।
 
दो दिल जब मिल साथ में चले तो,
थम गए राह के काफ़िले, काफ़िल। 
 
यूं ही नहीं मैंने तुम्हें चाहा है,
तुम तो बस दिल में समा गए, समा गए, समा गए। 
 
दुनिया में और कुछ दिखता नहीं,
जबसे मेरे दिल को तुम भा गए, भा गए, भा गए।
 
फूंक-फूंककर प्यार करते हैं हम,
जबसे आग दिल में तुम लगा गए, लगा गए, लगा गए। 
 
खुशियों के समंदर में डुबोकर हमें,
अपने दिल का दर्द तुम छिपा गए, छिपा गए, छिपा गए।
 
जिंदगी की मुश्किलें आसां हो चली हैं,
जबसे प्यार हमसे तुम निभा गए, निभा गए, निभा गए।
 
प्रेमिका नहीं, एक मंदिर हो तुम, 
आके प्रेम की घंटी हम बजा गए, बजा गए, बजा गए। 
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